November 24, 2024

दुनिया को दिखाने के लिए भारत के पास है सांस्कृतिक विरासत और समृद्धि : मोदी

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से श्री श्री रविशंकर की तारीफ के साथ शुक्रवार को यमुना तट पर विवादित विश्व सांस्कृतिक महोत्सव की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि रविशंकर ने दुनिया से भारत का ‘परिचय’ कराया है। हालांकि, मोदी ने अपने भाषण में इस कार्यक्रम से पर्यावरण को नुकसान से जुड़े विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं की।

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इस तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में कई देशों से आया शिष्टमंडल और हजारों लोग हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारतीयों से कहा कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व होना चाहिए।

इस बाबत रविशंकर के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत के पास सांस्कृतिक विरासत और समृद्धि है जिसे पूरी दुनिया देख रही है। हम उन जरूरतों को पूरा कर सकते हैं लेकिन यह तभी हो सकता है जब हम अपनी विरासत पर गर्व करें। यदि हम इसे कोसते रहेंगे तो दुनिया हमारी ओर क्यों देखेगी।’ मोदी ने इस कार्यक्रम में तीन घंटे बिताए लेकिन इस कार्यक्रम को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं की ओर से उठाए गए सवालों से पैदा हुए विवाद पर अपने भाषण में कुछ नहीं कहा। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने रविशंकर के ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ फाउंडेशन पर आरोप लगाया गया है कि लाखों लोगों के शामिल होने की संभावना के मद्देनजर बनाए गए बड़े-बड़े ढांचों से नदी तट को नुकसान होगा।

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विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को ‘कला का कुंभ मेला’ करार देते हुए मोदी ने कहा कि बारिश भी आयोजकों की ‘परीक्षा’ ले रही थी। मोदी ने कहा, ‘लेकिन यह आर्ट ऑफ लिविंग है। ऑर्ट ऑफ लिविंग का मतलब आरामतलबी और सहूलियतों के बीच जीना नहीं है। जब हम अपने विचारों के साथ आगे बढ़ते हैं तो यह आर्ट ऑफ लिविंग होती है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जब हम अपने सपनों को जीते हैं तो यह आर्ट ऑफ लिविंग होती है। जब हम चुनौतियों से निपटते हैं तो यह आर्ट ऑफ लिविंग होती है। जब हम खुद के लिए जीने की बजाय दूसरों के लिए जीते हैं तो यह आर्ट ऑफ लिविंग होती है।’

मोदी के संबोधन में ज्यादा जोर एक ऐसे दर्शक समूह के सामने भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने पर था जिसमें यूएई, अर्जेंटिना, पाकिस्तान, नेपाल सहित कई अन्य देशों के लोग मौजूद थे। रविशंकर की कोशिशों की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि दुनिया सिर्फ आर्थिक हितों से जुड़ी हुई है। यह मानवीय मूल्यों के जरिए भी जुड़ सकती है। ऐसा किया जा सकता है, ऐसा किया जाना चाहिए।’

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मोदी ने कहा, ‘भारत के पास ऐसी सांस्कृतिक विरासत और समृद्धि है जिसे दुनिया तलाश रही है। हम उन जरूरतों को पूरा कर सकते हैं…लेकिन यह तभी हो सकता है जब हमें अपनी विरासत पर गर्व हो। यदि हम इसे कोसते रहेंगे तो दुनिया हमारी तरफ क्यों देखेगी।’