Faridabad/Alive News: जिला शिक्षा विभाग एक तरफ राजकीय स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रहा है और हर संभव प्रयास कर रहा है तो वहीं शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अधिकारीयों के बीच तालमेल की कमी नजर आ रही है। इसका एक उदाहरण उस समय देखने को मिला जब जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में मेधावी विद्यार्थियों को सहायता राशि देने के लिए उनके अभिभावक, अध्यापक और प्रिंसिपल के साथ बुलाया हुआ था।
जब हमारे संवाददाता ने जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में प्रवेश किया तो वहां पर शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी की मौजूदगी में डिप्टी डीईओ के साथ जेबीटी यूनियन के दो पदाधिकारी जबरदस्त बहस में लगे हुए थे। बहस इतनी तेज थी कि आसपास के ऑफिस के बाबू भी कार्यालय में शीशे से झांककर देखने की कोशिश में लगे थे कि अंदर क्या हो रहा है।
हालांकि उस समय शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में विद्याथियों के साथ आये प्रिंसिपल और अध्यापक भी मौजूद थे। जेबीटी यूनियन के पदाधिकारियों का नाम शिक्षा अधिकारी द्वारा समझाते समय बार बार समय सिंह और जगत सिंह लिया जा रहा था। दोनों ही जेबीटी यूनियन पदाधिकारी शिक्षा अधिकारी डिप्टी डीईओ की शिकायत कर रहे थे कि डिप्टी डीईओ ने कार्यालय पहुंचने पर उनकी बात सुनने की बजाय उनके साथ दुर्व्यवहार किया।
लेकिन डिप्टी डीईओ अपना पक्ष रखते हुए कह रहे थे कि उन्होंने जेबीटी यूनियन के पदाधिकारियों को न तो बुलाया था और न ही कोई दुर्व्यवहार किया। फिर भी उन्होंने जेबीटी अध्यापकों को कहा कि सरकार, निदेशालय और डीईओ द्वारा आदेश दिए हुए है कि सभी स्कूलों के दाखिला की रिपोर्ट बनाकर समय पर दी जाए और वह इसी कार्य में लगे हुए थे। इससे नाराज होकर जेबीटी यूनियन के दोनों पदाधिकारी उनकी शिकायत लेकर डीईओ के पास पहुंचे हुए थे और डीईओ कार्यालय में प्रोटोकॉल को दरकिनार कर डिप्टी डीईओ से जबरदस्त बहस में लगे हुए थे।
बहस प्रोटोकॉल से बाहर जाती देख जिला शिक्षा अधिकारी अपना कार्यालय छोड़ साथ में बने रूम में बैठ गई लेकिन फिर भी यूनियन के नशे में चूर जेबीटी पदाधिकारियों ने कार्यालय में हंगामा करना बंद नहीं किया। इससे साफ होता है कि अपनी कामचोरी को छुपाने के लिए और दबंगई के बल पर सरकारी यूनियन के नेता अधिकारीयों को कैसे दबाते है।