October 1, 2024

एनआईटी विधानसभा में एक को विरासत बचाने और दो प्रत्याशियों को अपनी चौधर बचाने की चिंता

एनआईटी विधानसभा पर त्रिकोणीय मुकाबला

Faridabad/Alive News: एनआईटी विधानसभा के चुनावी दंगल में एक प्रत्याशी को विरासत बचाने, तो दो प्रत्याशियों को चौधर बचाने की चिंता लगी है। इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा और इनेलो-बसपा गठबंधन के प्रत्याशियों में त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है। कांग्रेस के प्रत्याशी एवं विधायक नीरज शर्मा अपने स्वर्गीय पिता पं. शिवचरण लाल शर्मा की विरासत को लेकर इस चुनाव को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहें हैं। लेकिन नीरज शर्मा के लिए एनआईटी विधानसभा में एंटी-इनकम्बेंसी है। क्षेत्र के लोग पांच साल के कार्यकाल को लेकर विधायक से हिसाब मांग रहे हैं और विधायक नीरज शर्मा जनता की कसौटी पर खरे नही उतरे और उनका एनआईटी क्षेत्र में काफी जगह विरोध हो रहा हैं। एनआईटी के वोटर कह रहे हैं कि विधायक नीरज शर्मा उन कालोनियों और गलियों में वोट मांगने नही जा रहे है जहां पर जलभराव और सीवर ओवरफ्लो है या फिर पीने के पानी की समस्या है। विधायक नीरज शर्मा अपने आप को निर्दोष बताते हुए भाजपा की सरकार पर काम नही करने देने के आरोप लगाकर और अपने कफन पहनकर संघर्ष की याद दिलाकर वोटरों अपनी ओर करने में लगे हैं।

भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सतीश फागना और इनेलो-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी नगेंद्र भड़ाना एनआईटी विधानसभा में दोनों अपनी चौधर को बचाने में लगे हैं। एनआईटी में चौधर को लेकर केंद्र के मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की शाख भी इस चुनाव में दाव पर लगी है। नेता जी भी अपने रिश्तेदार एवं भाजपा प्रत्याशी सतीश फागना को जिताने के लिए लगातार क्षेत्र एनआइटी में सक्रिय हैं। दस सालों में ऐसा पहली बार हो रहा है जब केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर एनआइटी विधानसभा में दिख रहे हैं।उधर, गुर्जर समाज से अपने आपको सेवक बताने वाले इंडियन नेशनल लोकदल के प्रत्याशी नगेंद्र भड़ाना पिछला 2019 का चुनाव हारने के बाद से अपनी हार का बदला लेने तथा फिर अपनी चौधर काबिज करने के लिए क्षेत्र में तैयारी करते आ रहे है। भाजपा से टिकट का धोखा होने के बाद से कांग्रेस और भाजपा यानि दोनों प्रति द्वंद्वियों को कांटे की टक्कर देने के लिए वोटरों के बीच पहुंच रहे हैं। नगेंद्र भड़ाना पहले भी इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी से 2014 से 2019 तक एनआईटी के विधायक रह चुके हैं। नगेंद्र भड़ाना गुर्जर वोट बैंक और दलित वोट बैंक के साथ साथ छत्तीस बिरादरी के वोट को साध कर चंडीगढ़ जाना चाहते हैं।

नगेंद्र भड़ाना की राह में शुरू से रोड़ा बनते आ रहे और उनकी भाजपा से टिकट काटवाने वाले सतीश फागना भी गुर्जर समाज से आते हैं। इन दोनों प्रत्याशी (परिवार) की राजनैतिक खींचतान दो दशक से चली आ रही है।भारतीय जनता पार्टी के वोट से जीत के सपने संजोए हुए हैं और लगातार वोटरों के बीच जाकर क्षेत्रीय मुद्दों के साथ साथ प्रदेशस्तरीय मुद्दों पर भी वोटरों को घेरने में लगे हैं। सतीश भाजपा के मेनिफेस्टों की लाभान्वित करने वाली योजनाओं से वोटर को अपनी ओर आकर्षित करने में लगे हैं। वह भाजपा के स्टार प्रचारकों की एनआईटी में लगातार रैली से वोटरों को पार्टी की ओर बदलने में लगे हैं। अब देखना यह है कि आगामी आठ तारीख को ऊंट किस करवट बैठता है।