London : कहते हैं कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे हमारा दिमाग सिकुड़ता जाता है और कोशिकाएं नष्ट होती जाती हैं। सामान रखकर भूल जाते हैं या सही समय पर कार्य करना याद नहीं रख पाते हैं। क्या आप जानते हैं कि इसका असर हमारे सीखने और याददाश्त पर पड़ता है। ऐसे में भूमध्यसागरीय आहार जिसमें फल, सब्जियां, जैतून का तेल और मछली शामिल हैं, से लाभ मिलता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि भूमध्यसागरीय आहार अधेड़ उम्र के लोगों के दिमाग का आयतन बढ़ाने में मददगार हो सकता है।
भूमध्यसागरीय आहार में सेम और आनाज जैसे गेहूं, चावल, मछली, दुग्ध उत्पाद, तय मात्रा में लाल मांस और पोल्ट्री भी शामिल हैं। स्काटलैंड के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के मिशेल लुसियानो ने कहा कि “हमारी उम्र बढ़ने के साथ दिमाग सिकुड़ता है और हम दिमाग की कोशिकाओं को खो देते हैं। इसका असर हमारे सीखने और याददाश्त पर पड़ता है। इस अध्ययन से प्रमाण मिलता है कि भूमध्यसागरीय आहार का दिमाग के स्वास्थ्य पर सकारात्मक पड़ता है”।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 967 स्कॉटिश लोगों के खाने की आदतों का संग्रह किया। इनकी आयु करीब 70 साल रही और इन्हें डिमेंशिया नहीं थी। निष्कर्षों से पता चलता है कि भूमध्यसागरीय आहार का सही से पालन नहीं करने वालों में तीन साल बाद दिमाग के कुल आयतन में ज्यादा नुकसान देखने को मिला। यह नुकसान आहार का पालन करने वालों की तुलना में तीन गुना ज्यादा था। दिमाग के कुल आयतन में भिन्नता की वजह आहार में अंतर 0.5 फीसद होना था। यह सामान्य उम्र की तुलना में दिमाग पर पड़ने वाले प्रभाव का आधा था। इसके अलावा मछली और मांस का उपयोग दिमाग में बदलाव से नहीं जुड़ा था। यह पहले के अध्ययन विपरीत रहा।
लुसियानो ने कहा कि “यह संभव है कि भूमध्यसागरीय आहार के दूसरे घटक इस संबंध के लिए जिम्मेदार हों या यह सब सभी घटकों के संयोजन से हुआ हो”। शोधकर्ताओं ने कहा कि ग्रे मैटर के आयतन या कॉर्टिकल की मोटाई में और भूमध्यसागरीय आहार में कोई संबंध नहीं पाया गया। ग्रे मैटर दिमाग की बाहरी परत है।