‘सैनिक मुझे आर्मी की वर्दी पहनाकर टेंट में ले गया, मैं गई अपनी मर्ज़ी से लेकिन आई उनकी मर्ज़ी से…’
बीते दिनों हमने एक चलन देखा है. प्रेग्नेंट फोटो शूट का. क्योंकि मां बनना गर्व कि बात है. है न?
डेमी मूअर ने आज से बीस साल पहले ऐसा ही पोज दिया था वैनिटी फेयर मैगजीन के लिए. कहते हैं जिस बोल्डनेस के साथ डेमी ने अपनी प्रेगनेंसी को दुनिया को दिखाया कोई और न दिखा पाया.
लेकिन ये जो औरत मैगजीन के कवर पर है न. ये ‘सुंदर’ नहीं है. क्योंकि ये ‘काली’ है. गरीब है. और ये एक ‘बुरी’ औरत है. क्योंकि ये मां नहीं बनना चाहती. कहती थी पैदा होते ही बच्चे को मार दूंगी.
कवर में जो औरत है उसका नाम अयाक है. और जो बच्चा अयाक की कोख में है, उसका बाप कौन है, ये उसे नहीं पता. नहीं, अयाक सेक्स वर्कर नहीं थी. सूडान में अपने गांव पर हमला होने के बाद राहत कैंपों की तरफ भाग रही थी. पकड़ी गई. सैनिकों ने बार बार रेप किया. अयाक से जब पूछते हैं कि वो अपना बच्चा गिरा क्यों नहीं देती. वो कहती है कि उसका आने वाले बच्चा उसका इकलौता साथी होगा. क्योंकि उसका पूरा परिवार खत्म हो चुका है.
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निकोल एक सेक्स वर्कर थीं. साल 2010 में कॉन्गो देश के गोमा शहर में संयुक्त राष्ट्र ने शहर में अपने पीसकीपर अपॉइंट किए थे. जिनमें भारत के सैनिकों की एक टुकड़ी भी शामिल थी. एक दिन एक लड़का निकोल के पास आया, और एक सैनिक के साथ सेक्स करने की बात तय हुई. फिर सैनिक निकोल के लिए आर्मी वाली वर्दी लेकर आया. कि सैनिकों के कैंप में कोई उसे घुसते न देखे.
सैनिक जीतने के नाम पर दुश्मन देश की औरतों का रेप करते हैं. अपने देश में रक्षा के नाम पर अपनी ही औरतों का रेप करते हैं.
ये आर्टिकल आउटलुक मैगजीन ने 2011 में किया था. उस वक्त कॉन्गो में लगभग 4000 भारतीय सैनिकों की पोस्टिंग थी. उसके बाद कॉन्गो में भारतीय से दिखने वाले कई बच्चे पैदा हुए. सेक्शुअल मिसकंडक्ट की शिकायत भी हुई. 12 अफसरों और 40 जवानों की दोषी पाया गया.
फिल्मों में हमने अपने सैनिकों को भारत माता का जयकारा करते हुए देखा है. देखा है कैसे देश के लिए जान लुटा देते हैं. जिन्हें ये ‘मां’ जैसा मानते हैं. जिनके रेप ये करते हैं, क्या वो किसी की कुछ नहीं लगतीं? क्या एक औरत का सेक्स वर्कर होना उसके रेप को जस्टिफाई कर देता है?
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नादिया के मुताबिक रेप करने के पहले लड़कियों से दुआ पढ़वाई जाती है. ये धर्म है.
नादिया ISIS के चंगुल से भाग आई थी. लेकिन उन हजारों का क्या जिनके साथ रोज हिंसा हो रही है?
लड़ाइयां उतनी ही पुरानी हैं जितनी ये दुनिया है. ये सिर्फ एक देश, एक जगह या एक काल की बात नहीं है. दुनिया भर के इतिहास के पन्ने मासूमों के खून से लाल हैं. और हर युद्ध का एक पैटर्न है. पुरुषों को मार दिया जाता है. और औरतों और बच्चों पर कब्जा कर लिया जाता है. ठीक उसी तरह जैसे शहरों, सड़कों, गलियों पर कब्जा कर लिया जाता है. जैसे जानवरों पर कब्ज़ा कर लिया जाता है. लड़ाई सिर्फ पुरुष की पुरुष से होती है. फिर औरतों का रेप किया जाता है. जैसे जमीन पर झंडा गाड़कर उसपर मुहर लगा दी जाती है कि अब ये हमारा हो गया है. पर एक बार रेप हो जाने के बाद औरत किसी की नहीं होती. न उसका बच्चा किसी का होता है. लड़ाई खत्म होने के बाद डाटा आता है. इतने मरे, इतने घायल. कितनी औरतों का रेप हुआ, कितनों की वेजाइना में सरिया या गरम बुलेट घुसा दी गई ये कहीं नहीं आता. क्योंकि युद्ध तो पुरुषों में होता ह