New Delhi/Alive News : जलीकट्टू को संस्कृति का गौरव बताने वाले लोगों की कमी नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि यह मर्दवादी संस्कृति का गौरव है. हाल में एक जलीकट्टू आयोजन के दौरान विजेता को 21 साल की औरत को इनाम में देने की घोषणा स्तब्ध करने वाली है.
तमिलनाडु के पेरिया अनाईकराइपत्ती गांव में एक विशाल जलीकट्टू आयोजन के दौरान उद्घोषक ने जब इस इनाम की घोषणा की तो तमाम लोग चौंक गए. हालांकि कुछ लोग ऐसा भी मान रहे हैं उद्घोषक संभवत: नशे में था.
इस घोषणा ने हमारी तथाकथित ‘संस्कृति’ और समाज की बुनियाद पर सवाल तो खड़े कर ही दिए हैं. जलीकट्टू प्राचीन काल से चला आ रहा सांड़ दौड़ का एक खेल है. इसकी शुरुआत संगम युग में हुई थी. यह समाज के कथित रूप से ऊंची जातियों का खेल है और परंपरागत रूप से ऐसा देखा गया है कि विजेता को अपने समुदाय में सुपर मर्द जैसा दर्जा हासिल हो जाता है और उसे अपनी पसंद की औरत से शादी करने का मौका मिल जाता है.
यही नहीं, इस खेल में यदि कोई बैल अपराजित रहता है तो उसे भी सुपर बैल का दर्जा मिल जाता है और उसे स्थानीय गायों के प्रजनन के लिए मुफीद माना जाता है ताकि बेहतरीन नस्ल के गाय-बैल पैदा हो सकें. सवाल उठता है कि क्या गायों और औरतों को एक ही पलड़े पर रखा जा सकता है, क्या हमारे समाज में औरतों का दर्जा जानवरों के जैसा है?
यह देश का दुर्भाग्य है कि औरतें या जानवर ही क्यों न हों, सभी धर्मों, जाति या नस्ल में राजनीति का मोहरा बन रहे हैं. यह उस देश में हो रहा है, जहां की लड़कियां अंतरिक्ष में पहुंच गई हैं, जहां महिलाएं सरकार चला रही हैं.
क्या होता है जल्लीकट्टू
जल्लीकट्टू, दरअसल मट्टू पोंगल का हिस्सा है, जिसे पोंगल के तीसरे दिन खेला जाता है. तमिल में मट्टू का अर्थ होता है बैल या सांड़. पोंगल का तीसरा दिन मवेशियों को समर्पित होता है. इसलिए इस दिन सांडों वाला खेल यानी कि जल्लीकट्टू आयोजित किया जाता है.
कितना पुराना खेल और कैसे खेला जाता है
तमिलनाडु में इस खेल की प्रथा 2500 साल पुरानी है. इसमें सांड़ों की सींघों में सिक्के या नोट फंसाकर रखे जाते हैं. फिर उन्हें भड़काकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है, ताकि लोग सींघों से पकड़कर उन्हें काबू में करें. सांड़ों को भड़काने के लिए उन्हें शराब पिलाने से लेकर उनकी आंखों में मिर्च डाला जाता है और उनकी पूंछ को मरोड़ा जाता है, ताकि वो तेज दौड़ सकें.
तमिलनाडु में क्यों है इसका इतना महत्व
दरअसल, जल्लीकट्टू के जरिये तमिलनाडु के किसान अपनी और अपने सांड़ की ताकत का प्रदर्शन करते हैं. इससे उन्हें यह पता चल जाता है कि उनका सांड़ कितना मजबूत है और ब्रिडिंग के लिए उनका उपयोग किया जाता है.