Amritsar/Alive News : पंजाब के अमृतसर में हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस शुरू हो चुकी है। कॉन्फ्रेंस में मुख्य तौर पर आतंकवाद, कट्टरतावाद और चरमपंथवाद के खतरे पर विचार किया जाएगा। भारत, चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान समेत 14 देशों के वरिष्ठ अधिकारी इसमें हिस्सा ले रहे हैं, वहीं 17 सहयोगी देशों के प्रतिनिधि भी शिरकत कर रहे हैं। कुल मिलाकर करीब 40 देशों और यूरोपीय यूनियन जैसे बड़े ग्रुप की भागीदारी से ही जाहिर है कि ये कॉन्फ्रेंस काफी अहम है। कॉन्फ्रेंस में तालिबान के विद्रोह का सामना कर रहे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी भी हिस्सा ले रहे हैं। कॉन्फ्रेंस में इस बात पर भी चर्चा होगी कि कैसे अफगानिस्तान में शांति बहाली प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू किया जाए।
हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस में आतंकवाद का मुद्दा काफी अहम है। सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर भारत पाकिस्तान को घेरने की पुरजोर कोशिश कर सकता है। भारत को इस कवायद में अफगानिस्तान का साथ भी मिल सकता है। कॉन्फ्रेंस से पहले भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के उप विदेश मंत्री हिकमत खलील करजई के बातचीत हुई। दोनों देशों ने पाकिस्तान ‘प्रायोजित’ आतंकवाद को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। उड़ी में इंडियन आर्मी के पोस्ट पर आतंकी हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्तान में तनाव है, यहां तक कि विरोध दर्ज कराते हुए भारत ने पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन में जाने से इनकार कर दिया था। अफगानिस्तान और बांग्लादेश समेत कुछ दूसरे सार्क देशों ने भी भारत का समर्थन करते हुए सार्क सम्मेलन के बहिष्कार का ऐलान किया था।
क्या है हार्ट ऑफ एशिया?
आतंकवाद, चरमपंथ और गरीबी से निबटने के लिए अफगानिस्तान और इसके पड़ोसी देशों के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए 2011 में शुरू की गई पहल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अजरबैजान, चीन, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, सउदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान और यूएई शामिल हैं।