November 28, 2024

हरियाणा विधानसभा बजट सत्रः विधायकों ने बजट में आय और खर्चों में संतुलन साधने पर दिया जोर

Chandigarh/Alive News: हरियाणा के बजट पर मंथन के बाद नए सुझावों के लिए बनाई गई विधायकों की कमेटियों का प्रयोग बेहद कामयाब रहा है। 72 विधायकों की आठ कमेटियों ने लगातार चार दिन तक बजट प्रस्तावों पर मंथन के बाद सदन में जो फीडबैक दिया, वह सरकार और वित्त विभाग के अधिकारियों के लिए संशोधित बजट प्रस्ताव तैयार करने में मददगार साबित हो सकता है।

विधायकों ने राज्य के बजट प्रस्तावों की मदवार तुलना दूसरे राज्यों के बजट प्रस्तावों के साथ करते हुए दूध का दूध और पानी का पानी अलग कर दिया। विधायक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि राज्य के बजट में शामिल कुल राशि और खर्चों की मद में जमीन-आसमान का अंतर है, जिसे कम किए जाने की जरूरत है।

गुरुग्राम जिले की बादशाहपुर सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद ने पिछले तीन साल की कुल बजट राशि और इस अवधि में प्राप्त होने वाले राजस्व के अंतर को बढ़िया तरीके से सदन में रखा। हरियाणा कृषि उद्योग निगम के चेयरमैन राकेश ने कहा कि हमारी सरकार ने पांच साल के भीतर पुराने कर्जों का 90 हजार करोड़ रुपये का ब्याज दिया है। उन्‍होंने कहा कि जिस हिसाब से बजट की राशि हर साल बढ़ती है, उसे हिसाब से राजस्व प्राप्ति का अनुपात नहीं बढ़ पाता।

प्रदेश सरकार को इस तरह की नीतियां बजट में शामिल करनी होंगी, जिनसे बजट की कुल राशि और खर्चों के भारी अंतर को काफी हद तक कम किया जा सके। दौलताबाद ने गुरुग्राम नगर निगम की कमाई और खर्चों के आंकड़ों के जरिये अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाए। उन्होंने कहा कि खर्चों की अधिकता के कारण गुरुग्राम नगर निगम को 400 करोड़ रुपये की फिक्स डिपोजिट तोड़नी पड़ी। इसके बाद गुरुग्राम ने फरीदाबाद नगर निगम के खर्चे उठाने शुरू कर दिए।

पुणे के पास पिंपरी नगर निगम के तीन हजार करोड़ रुपये के राजस्व का जिक्र करते हुए दौलताबाद ने कहा कि वहां की आबादी और गुरुग्राम की आबादी तथा क्षेत्रफल समान है, लेकिन गुरुग्राम का राजस्व मात्र एक हजार करोड़ रुपये है। इसी तरह साउथ दिल्ली नगर निगम का राजस्व बहुत अधिक है। विज्ञापनों से होने वाली आमदनी का जिक्र करते हुए राकेश दौलताबाद ने कहा कि गुरुग्राम की छह लाख साइट से 387 करोड़ का राजस्व अर्जित हो पाया है, जबकि पुणे ने 7.80 लाख साइट से 1300 करोड़ रुपये कमाए हैं।

दिल्ली का शिक्षा विभाग का बजट 16 हजार 377 करोड़ रुपये है और हरियाणा का बजट 20 हजार 250 करोड़ रुपये है। उन्‍होंने कहा कि दिल्ली में स्कूल 1053 हैं और हरियाणा में 14 हजार 380 स्कूल हैं। हरियाणा में एक साल में एक स्कूल पर सवा करोड़ रुपये और दिल्ली में 10 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। हरियाणा में देश की कुल 57 प्रतिशत कार, 60 प्रतिशत बाइक, 50 प्रतिशत टैक्टर और 50 प्रतिशत रेफ्रिजरेटर बनते हैं। फ्रिज बन रहे हैं।

उत्तर प्रदेश का औद्योगिक क्षेत्र का बजट 4200 करोड़ और हरियाणा का 597 करोड़ रुपये है, जिसके अंतर को खत्म किए जाने की जरूरत है। हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने विधायकों द्वारा की गई तैयारी की विधानसभा में सराहना की है। लोकसभा में बजट पेश होने के बाद उस पर सांसदों की स्टैंडिंग कमेटियां चर्चा करती हैं। प्रदेश में ऐसा प्रयोग पहली बार किया गया, जो काफी कामयाब साबित हुआ।