Chandigarh/Alive News : हरियाणा में नौकरियों के फर्जीवाड़े में पकड़े गए तीनों आरोपियों के साथ-साथ अब उन लोगों पर भी गाज गिरने वाली है, जिन्होंने नौकरी के लिए पैसे दिए हैं। इस हाईप्रोफाइल मामले में पहली बार भ्रष्टाचार अधिनियम के साथ-साथ तीन माह पहले बने हरियाणा लोक सेवा आयोग परीक्षा (अनुचित साधन निषेध) अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। इस कानून के लगने से न केवल पकड़े गए एचसीएस अनिल नागर, अश्वनी शर्मा और नवीन की दिक्कतें बढ़ेंगी, बल्कि उन युवाओं के लिए यह कानून खतरा बढ़ गया जिन्होंने परीक्षा के लिए पैसे दिए हैं।
बता दें, कि पिछले कुछ सालों से हरियाणा में लगातार हुए पेपर लीक मामलों को रोकने के लिए तीन माह पहले हरियाणा सरकार ने नया कानून बनाया है। विधानसभा में पारित होने पर राज्यपाल की मंजूरी के बाद 10 सितबंर से यह लागू हो गया है। इस फर्जीवाड़े में पीसी एक्ट के साथ-साथ नकल विरोधी कानून भी लगाया गया है। कानून के जानकार बताते हैं कि इस कानून के तहत परीक्षा में न केवल पैसे लेने वाले, बल्कि देने वाले भी जिम्मेदार हैं।
कानून में उनके लिए भी सजा और जुर्माने के प्रावधान किए हैं। ऐसे में अब उन युवाओं की परेशानी बढ़ने वाली है, जो डेंटल सर्जन, एचसीएस प्री परीक्षा में पैसे देकर पास हुए हैं। विजिलेंस ब्यूरो दस्तावेजों और रोल नंबर के हिसाब से ऐसे युवाओं की सूची तैयार कर रहा है। जल्द ही विजिलेंस इनको पूछताछ में शामिल करने की तैयारी कर रहा है।
मिली जालकारी के अनुसार नागर ने माना है कि उसने कुल 18 अभ्यर्थी पास कराए है। इनमें एससीएच के 5 और डेंटल सर्जन के 13 अभ्यर्थी शामिल हैं। जबकि विजिलेंस ने इसके पास से कुल 36 ओएमआर शीट बरामद की हैं। इसके अलावा अश्वनी शर्मा और नवीन ने माना है कि उन्होंने 40 स्टाफ नर्स, वीएलडीए 4 और एएनएम के 15 उम्मीदवार पास कराए हैं।