Chandigarh/Alive News: हरियाणा में कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम की जगह पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए सरकार पर दबाव बढ़ने लगा है। आधा दर्जन के करीब राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल होने के बाद अब हरियाणा के कर्मचारी भी लामबंद हो रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ओपीएस बहाल करने से इन्कार कर चुके हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की एक चिट्ठी ने कर्मचारियों की उम्मीदें जगा दी हैं।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की पेंशन विंग की ओर से शुक्रवार को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी किया गया है। इसमें सरकारी स्कूलों व अनुदान प्राप्त स्कूलों के उस स्टाफ के बारे में सूचना मांगी गई है, जिनकी नियुक्ति न्यू पेंशन स्कीम लागू होने के बाद यानी पहली जनवरी, 2006 के बाद हुई है।
तीन दिन में सभी जिलों से यह रिपोर्ट मुख्यालय भेजने को कहा गया है। इससे कर्मचारी संगठनों को उम्मीद जगी है कि सरकार देर-सवेर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने पर निर्णय ले सकती है। सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि 13 से 16 अप्रैल को बिहार में अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के बैनर तले होने वाली नेशनल कांफ्रेंस में भी इस मुद्दे पर चर्चा होगी।
पुरानी पेंशन को बहाल करवाने तथा कर्मचारियों की अन्य मांगों को लेकर आंदोलन करने के लिए कर्मचारियों के सभी संगठनों व यूनियनों ने मिलकर संयुक्त कर्मचारी मोर्चा बनाने का फैसला लिया है। इसमें केंद्रीय कर्मचारियों के अलावा बैंकों व बीमा कंपनियों के कर्मचारी भी शामिल होंगे। हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में भी यह मुद्दा जोर-शोर से उठा था। अंदरखाने गठबंधन सरकार के कई विधायक कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के समर्थन में हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री ने भी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का ऐलान कर दिया है। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने चुनावी घोषणा पत्र में कर्मचारियों से यह वादा किया था। पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार का गठन हो चुका है। अब देखना यह है कि आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पंजाब में आप सरकार पुरानी पेंशन योजना को लागू करती है या नहीं।
इससे पूर्व दिल्ली मे अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार पुरानी पेंशन योजना लागू करने के समर्थन में विधानसभा से प्रस्ताव पास करके केंद्र को भेज चुकी है। वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल बजट सत्र में कह चुके हैं कि पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं होगी। उन्होंने तो यहां तक कहा कि कांग्रेस राज में ही न्यू पेंशन स्कीम लागू हुई थी। उस समय की सरकार को इसे लागू करने से पहले सोचना चाहिए था।
राज्यों को खुद उठाना पड़ेगा पेंशन का खर्च
पुरानी पेंशन की बहाली करने में कई तरह की तकनीकी अड़चनें हैं। संसद में यह एक्ट पास हुआ था। ऐसे में इसे वापस भी केंद्र के स्तर पर ही लिया जा सकेगा। हालांकि संविधान की समवर्ती सूची में वेतन और पेंशन का मामला स्टेट सब्जेक्ट है, लेकिन बिल पास होने की वजह से यह पूरे देश में लागू हुआ। राज्य सरकारें प्रस्ताव पास करके केंद्र को तो भेज सकती हैं लेकिन अपने स्तर पर इसे लागू नहीं कर सकती।