Faridabad/Alive News: हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने हरियाणा सरकार द्वारा शुरू की गई चिराग योजना का विरोध करते हुए इसे सरकारी स्कूलों को समाप्त करने की साजिश बताया है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा, प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा है कि एक ओर हरियाणा सरकार दावा कर रही है कि उसने अपने सरकारी स्कूलों को मॉडल संस्कृति विद्यालय बनाकर व उनमें से कईयों को सीबीएसई की मान्यता दिला कर अपने स्कूलों को आधुनिक संसाधनों से युक्त बनाया है, सरकारी स्कूल पहले से बेहतर हो गए हैं, उनमें अच्छी पढ़ाई होती है, अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला करायें।
वहीं दूसरी ओर सरकार अपने ही सरकारी स्कूलों के बच्चों को चिराग योजना के तहत प्राइवेट स्कूलों में भेजने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मंच का कहना है कि चिराग योजना ने सरकार के दावों की पोल खोल दी है। मंच का कहना है कि शिक्षा अधिकार कानून के तहत प्रत्येक प्राइवेट स्कूलों में दाखिले में 25% के हिसाब से गरीब परिवारों के बच्चों को आठवीं तक मुफ्त शिक्षा देने का नियम है।
मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व विधि सलाहकार एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि सरकार ने 31 जनवरी तक सीबीएसई व हरियाणा बोर्ड के प्राइवेट स्कूलों से इस योजना को स्वीकार करने और अपने स्कूल में शिक्षा सत्र 23- 24 में प्रत्येक कक्षा में किए जाने वाले नए दाखिलों की संख्या मांगी है।
हरियाणा बोर्ड के कुछ प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर अधिकांश (खासकर सीबीएसई वालों) ने अपनी सीटों का ब्यौरा शिक्षा विभाग को नहीं दिया है। सबसे बड़ी दिलचस्प बात यह है कि चिराग योजना ना तो छात्र व अभिभावकों को ज्यादा पसंद आई है और ना प्राइवेट स्कूल संचालकों को। आंकड़ा बताता है कि चालू शिक्षा सत्र में पूरे प्रदेश प्रदेश में सिर्फ 381निजी स्कूलों में केवल 1668 बच्चों ने ही चिराग योजना के तहत निजी स्कूलों में दाखिला लिया।
दरअसल हरियाणा सरकार सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे आर्थिक रूप से कमजोर दूसरी क्लास से बारहवीं क्लास तक के बच्चों के लिए निजी मान्यता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ने के लिए नियम-134ए को खत्म कर यह चिराग योजना लाई है। जिसका मंच के साथ साथ अन्य अभिभावक व अध्यापक संगठन विरोध कर रहे हैं।