Faridabad/Alive News: हरियाणा सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मान्यता रिव्यू किए जाने के फैसले पर यू टर्न ले लिया है। सरकार के नये आदेशों के अनुसार अब राज्य में चल रहे 10 साल पुराने स्कूलों की मान्यता की समीक्षा सरकार नहीं करेगी। हरियाणा सरकार ने 15 जून, 2023 को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया था कि सभी निजी स्कूल, जिनकी मान्यता दस वर्ष से अधिक पुरानी है वे अपनी मान्यता रिव्यू कराने के लिए आवेदन करें।
सरकार ने अपने इस आदेश को रद्द करके स्कूल संचालकों के हित में नया आदेश जारी किया है। हरियाणा सरकार ने प्राइवेट स्कूलों के हित में एक और आदेश जारी किया है। जिसके अनुसार फार्म 6 जमा कराने के लिए पोर्टल को पुनः खोल दिया गया है और जिन स्कूलों की बिल्डिंग दो मंजिला है उन्हें जमीन के नियमों में 25 प्रतिशत की छूट भी दी गई है
सरकार के इन फैसलों का जहां प्राइवेट स्कूल संचालकों ने दिल खोलकर स्वागत किया है वहीं हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने इस पर कड़ा विरोध प्रकट किया है। मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि सरकार ने जब दस साल पुराने प्राईवेट स्कूलों की मान्यता रिव्यू करने के आदेश जारी किए थे, उसी दिन मंच ने प्रेस में बयान जारी कर कहा था कि सरकार पहले की तरह ही स्कूल संचालकों के दबाव में रिव्यू के फैसले को वापस ले लेगी। मंच की यह आंशका बिल्कुल सत्य साबित हुई है।
उन्होंने कहा कि पिछले 9 साल से सत्तारूढ़ भाजपा सरकार स्कूल संचालकों के हित में लगातार फैसले कर रही है। स्कूल संचालक मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री से मिलते हैं उसके बाद एक एक करके शिक्षा नियमावली 2003 में से उन सभी नियम कानूनों को हटा दिया जाता है, जिनको स्कूल संचालक अपने खिलाफ मानते हैं। उदाहरण के तौर पर सरकार ने गरीब बच्चों के हित में बनाया गया नियम 134ए को समाप्त कर दिया। मंच का आरोप है कि सरकार अपने ही सरकारी स्कूलों के बच्चों को चिराग योजना के तहत प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करा कर सरकारी स्कूलों को बंद करना चाहती है।
हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा ने कहा है कि अभिभावक भी एक वोटर है, प्रदेश के करोड़ों अभिभावकों ने भाजपा को इस आशा व उम्मीद से वोट देकर सत्तारूढ़ किया था कि वह प्राइवेट स्कूल संचालकों की मनमानी व हर तरह की लूट पर रोक लगा कर गरीब व मिडिल क्लास अभिभावकों के हित में काम करेगी। लेकिन यह सरकार तो शुरू से ही स्कूल संचालकों के हित में ही कार्य कर रही है।
मंच ने प्रदेश के सभी अभिभावकों, अभिभावक संगठनों से कहा है कि वे एकजुट होकर आगामी होने वाले सभी चुनावों में अपनी वोट की ताकत से प्राइवेट स्कूल संचालकों की हितैषी इस भाजपा-जजपा सरकार को उखाड़ फेंके और जो सांसद विधायक व नेता शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रहे प्राइवेट स्कूल संचालकों का खुलकर साथ दे रहे हैं, उनको भी चुनाव में सबक सिखाएं।