New Delhi/Alive News: आज देश सुभद्रा कुमारी चौहान की 117वीं जयंती मना रहा है। सुभद्रा कुमारी चौहान को गूगल ने डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है। इंडियन एक्टिविस्ट और राइटर की जयंती के मौके पर डूडल ने एक साड़ी में कलम और कागज के साथ बैठी सुभद्रा कुमारी चौहान को दिखाया है। सुभद्रा कुमारी चौहान पुरुष वर्चस्व वाले युग के दौरान अपनी शाख जमाने वाली महिलाओं में से एक थीं। सुभद्रा कुमारी चौहान एक लेखिका, एक्टिविस्ट, स्वतंत्रता सेनानी भी थीं।
साड़ी पहने कलम और कागज के साथ नजर आ रही सुभद्रा
डूडल पर क्लिक करने पर सुभद्रा कुमारी चौहान से जुड़ा वेब पेज खुल रहा है। आपको बता दें कि सर्च इंजन गूगल हर खास मौके पर डूडल बनाता है। इस डूडल में सुभद्रा कुमारी चौहान साड़ी पहने कलम और कागज के साथ नजर आ रही हैं। इस डूडल को न्यूजीलैंड की गेस्ट आर्टिस्ट प्रभा माल्या ने बनाया है। उनकी राष्ट्रवादी कविता झांसी की रानी को व्यापक रूप से हिंदी साहित्य में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली कविताओं में से एक माना जाता है.
कई बार जेल भी गईं सुभद्रा
सुभद्रा राष्ट्रीय चेतना की एक सजग लेखिका रही हैं। सुभद्रा कुमारी चौहान ने 88 कविताएं और 46 लघु कथाएं लिखीं। 1923 में सुभद्रा कुमारी चौहान ने भारत की पहली महिला सत्याग्रही की टीम का नेतृत्व किया। सुभद्रा कुमारी चौहान एक कवियित्री होने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थीं। वो देश की पहली महिला सत्याग्रही थीं। भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविताओं से लोगों में जोश भरने का काम किया। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और कई बार जेल भी गईं।
सिर्फ नौ साल की उम्र में प्रकाशित हुई कविता
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म आज ही के दिन 1904 में निहालपुर गांव में हुआ था। वह घोड़ा गाड़ी में बैठकर रोज स्कूल जाती थीं और इस दौरान भी लगातार लिखती रहती थीं। सुभद्रा कुमारी चौहान की पहली कविता सिर्फ नौ साल की उम्र में प्रकाशित हो गई थी। उनका परिवार शुरू से ही राष्ट्रवादी विचारों से प्रेरित था। सुभद्रा को बचपन से ही ऐसे संस्कार मिले और वे आंदोलनों की ओर मुड़ गईं. सुभद्रा के परिवार में चार बहनें और दो भाई थे।