December 25, 2024

निगम चुनाव में भाजपा पर लगे धांधली के आरोप !

Faridabad/Alive News : नगर निगम चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली की आशंका जताते हुए पूर्व मंत्री एसी चौधरी समर्थक एवं कांग्रेस के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष कुलदीप रत्रा ने कहा कि भाजपा ने सत्ता का दुप्रयोग किया है। कई वार्डो में निर्दलीय उम्मीदवारों को भारी पैमाने पर वोट डाले जाने के बाद भी भाजपा के उम्मीदवारों का जीतना फरीदाबाद की जनता को रास नहीं आ रहा है। वोटरों के अनुसार हवा के विपरीत इतनी बड़ी संख्या में भाजपा उम्मीदवारों का जीतना किसी को भी नहीं पच रहा है।

कुलदीप रत्रा ने कहा कि प्रशासन पर जनता के आरोप लग रहे हैं कि सरकार के दबाव में जिन अधिकारियों ने लोकतंत्र की हत्या की है। ये घटना किसी बड़े अपराध से कम नहीं आंकी जा सकती। उन्होंने कहा कि एक हजार से कम वोटों के अन्तर वाली जीत वाले वार्डो में अधिक धांधली से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा प्रमाणा वार्ड 37 में प्रशासन ने पहले भाजपा प्रत्याशी महेश गोयल को विजयी बता दिया और बाद में लोगों के विरोध के बाद मतगणना दोबारा हुई तो निर्दलीय दीपक चौधरी को विजयी घोषित कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि इस प्रकरण से साफ होता है कि मतगणना कितनी सार्थक और निष्पक्ष तरीके से हुई है। उधर, धांधली का विरोध करने वाले लोगों पर बल्लभगढ़ में पुलिस ने लाठी चार्ज तक कर दिया। लेकिन लोग अड़े रहे और प्रशासन को दोबारा मतगणना करनी पड़ी। इसी प्रकार कई वार्डो में मतगणना दोबारा हुई और जीत का अन्तर हर बार अलग रहा है। कई ऐसे वार्ड है, जहां से निर्दलीय उम्मीदवार काफी वोटो से लीड कर रहे था, लेकिन परिणाम चौंकाने वाले सामने आएं।

भाजपा पहले से ही फरीदाबाद नगर निगम चुनावों को प्रतिष्ठा का प्रश्र बनाकर चल रही थी। क्योंकि नोटबंदी के बाद लोगों के रूख में आए बदलाव को देखते हुए भाजपा के दिग्गज नेताओं को यह खतरा सता रहा था कि अगर पार्टी को सिंबल पर हुए निगम चुनाव में पराज्य का मुंह देखना पड़ा तो लोकसभा क्षेत्र के भाजपा नेताओं की जनता में किरकिरी होने के पूरी संभावना थी।

दूसरा यह भी माना जा रहा था कि फरीदाबाद नगर निगम चुनाव का सीधा असर हरियाणा के सीमाओं से लगते हुए उत्तर प्रदेश व पंजाब के चुनावों पर पड़ेगा। इसी के चलते भाजपा के आधा दर्जन मंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और दिग्गज नेताओं ने फरीदाबाद में जमकर पसीना बहाया है। सरकार और पार्टी की ओर से स्पष्ट संकेत थे कि निगम चुनाव में किसी भी कीमत पर भाजपा की जीत होनी चाहिए और वह हुई भी। अब देखना यह है कि इस चुनाव में स्वयं को अगले पायदान पर मानकर चलने वाले उम्मीदवारों का अगला कदम क्या होगा? क्या वे इस चुनाव में धांधली को मानकर परिणामों के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाऐंगे या फिर हार को अपनी किस्मत मानकर चुपचाप बैठ जाऐंगे?