Chandigarh/Alive News: भर्तियों में फर्जीवाड़े के बाद अब हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो की जांच सवालों के घेरे में आ गई है। पंचकूला की अदालत ने विजिलेंस के जांच अधिकारी और जांच प्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के मुताबिक फटकार लगाते हुए सीजेएम नितिन राज ने कहा है कि लगता है कि जांच अधिकारी रिकवरी को लेकर गंभीर नहीं है। वह सुबूत एकत्रित करने से ज्यादा आरोपियों को हिरासत में रखने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं।
अदालत ने प्रोडक्शन वारंट लेने के बावजूद आरोपियों को रिमांड पेपर में बताए गए रोहतक और सोलन स्थानों पर नहीं ले जाने को लेकर पूछा तो एसआईटी प्रमुख कोई जवाब नहीं दे पाए और कहा कि दूसरा जांच अधिकारी इसका जवाब देंगे, इस भी अदालत ने नाराजगी जाहिर की है।
गौरतलब है कि विजिलेंस ने आरोपियों का रिमांड पूरा होने के बाद 23 नवंबर को एचसीएस अनिल नागर, अश्वनी शर्मा और नवीन को अदालत में पेश किया था। विजिलेंस ने अदालत में रिमांड पेपर देकर मांग की थी कि आरोपी नवीन को सोलन, सोनीपत, आरोपी अश्विनी शर्मा को एचपीएससी ऑफिस, पंचकूला और शिव कॉलोनी, सोनीपत ले जाकर शीट बरामद करनी है।
इसी प्रकार, अनिल नागर से उसके घर रोहतक, मामा के निवास गांव रिठाल ले जाना था। लेकिन विजिलेंस द्वारा ऐसा नहीं किया गया। वर्ष 2018 में भी ‘कैश फॉर जॉब स्कैम’ में भी सीएम फ्लाइंग स्कवायड की तथाकथित कार्रवाई के बाद अदालत ने फटकार लगाई थी।
4 दिसंबर, 2018 को इस मामले में न के बराबर हुई जांच पर अदालत ने तीखी और तल्ख टिप्पणियां कीं तथा साफ तौर से असली आरोपियों को बचाने की कोशिश बताते हुए सरकार को सप्लीमेंटरी चार्जशीट पेश करने का आदेश दिया था पर आज तक सप्लीमेंटरी चार्जशीट नहीं आई।