Chandigarh/Alive News: डीएलएफ फेज-दो इलाके में चलाए जा रहे फर्जी काल सेंटर का शुक्रवार देर रात भंडाफोड़ किया गया। मौके से संचालक सहित 24 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके कब्जे से दो सीपीयू, दो मोबाइल, ढाई लाख रुपये बरामद किए गए। सेंटर के माध्यम से अमेरिका और कनाडा मूल के लोगों से वसूली की जाती थी। सभी अपने आपको फाइनेंसियल क्राइम यूनिट ब्यूरो आफ नारकोटिक्स, कनाडियन इंटेलिजेंस सर्विस आदि एजेंसियों का कर्मचारी बताकर बात करते थे। उन्हें मादक पदार्थोंं की तस्करी, मनी लांड्रिंग और पहचान छुपाने वाले अपराधों में लिप्त होना बताकर वसूली करते थे। जो फंस जाते थे उनसे 500 से एक हजार डालर तक की वसूली करते थे।
शुक्रवार शाम पुलिस को सूचना मिली थी कि डीएलएफ फेज-दो स्थित एक मकान के ग्राउंड फ्लोर पर फर्जी काल सेंटर चलाया जा रहा है। इसके बाद सीएम फ्लाइंग स्क्वाड की गुरुग्राम टीम के प्रभारी डीएसपी इंद्रजीत यादव और एसीपी (डीएलएफ) संजीव बल्हारा की देखरेख में संयुक्त टीम मौके पर पहुंची। छापेमारी में साइबर क्राइम थाना पुलिस ने भी सहयोग किया। जैसी सूचना मिली थी, वैसी ही मौके पर गतिविधियां दिखाई दीं। 23 कर्मचारी हेडफोन लगाकर अंग्रेजी भाषा में बात कर रहे थे।
इनमें से 10 युवतियां थीं। सभी के सामने कंप्यूटर सिस्टम था। फिर सेंटर संचालन से संबंधित कागजात मांगे गए और नहीं दिखाए जाने पर सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में पता चला कि सेंटर का मालिक सेक्टर-सात में रहने वाला मूल रूप से रेवाड़ी जिले के कोसली निवासी उमेश यादव है। उसने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई कर रखी है। दो साल पहले दिल्ली में संचालित एक काल सेंटर में सुपरवाइजर की नौकरी करता था।
नौकरी छोड़ने के बाद ज्यादा पैसे कमाने की लालच में अपना काल सेंटर चलाने लगा था। इस तरह संचालक सहित कुल 24 लोगों को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया। फर्जी काल सेंटर पिछले चार महीनों से प्रति माह डेढ़ लाख रुपये के किराये पर चलाया जा रहा था। अमेरिका और कनाडा मूल के लोगों को ही विशेष रूप से निशाना बनाया जाता था। कर्मचारियों को वेतन के अलावा कमीशन भी अलग से दिया जाता था।