Faridabad/Alive News: ईएसआई हेल्थ केयर विभाग हरियाणा जिले की डिस्पेंसिरियाें में भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवा का दावा करता हाे, मगर जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। जिले के लगभग छह लाख ईएसआई कार्डधारकाें (आइपी, बीमाकृत व्यक्ति) के वेतन में से इलाज के नाम पर हर महीने पैसा कटता है। फिर भी जब वह बीमार हाेता है और इलाज के लिए ईएसआई डिस्पेंसरी आता है ताे वहां फरियादी की तरह लाइनाें में लगा नजर आता है। पहले पर्ची बनवाने, डाक्टर से मिलने और फिर लाइन में लग कर दावा लेने काे सुबह से शाम हाे जाती है।
कई बार पता चलता है कि यहां दवा ही नहीं है। आइपी (इन -पेसेंट) की पीड़ा काे समझते हुए एक समाचार पत्र के संवाददाता ने डिस्पेंसरियाें की पड़ताल शुरू की है। इसी कड़ी में ईएसआई हेल्थ है केयर विभाग के संचालन में चल रही दाे नंबर जी ब्लाक स्थित डिस्पेंसरी की पड़ताल की गई ताे कई खामियां सामने आई। हालांकि यहां के मुद्दे उच्च अधिकारियाें से जुड़े हैं, जिन्होंने सुधार की तरफ कभी ध्यान ही नहीं दिया।
एनआईटी दाे नंबर डिस्पेंसरी का हाल
ईएसआई हेल्थ केयर के रिकार्ड के अनुसार पांच नंबर डिस्पेंसरी जाे एनआइटी दाे नंबर जी ब्लाक में स्थित है। यहां प्रतिदिन ओपीडी में लगभग 400 से अधिक मरीज इलाज काे आते हैं। बहुत से मरीज पहले तीन नंबर ईएसआई अस्पताल जाते हैं। वहां दवाई नहीं मिलती ताे डिस्पेंसरी आ जाते हैं।
यहां से भी निराश लाैटना पड़ता है। जवाहर कालोनी निवासी कार्डधारक सतपाल की कई दिन पहले ड्युटी के दाैरान प्रेस पर काम करते हुए अगुंली कट गई थी। अस्पताल से इलाज चल रहा है। जख्म सुखाने और दर्द निवारक दवा लेने काे डिस्पेंसरी आए थे, मगर सारी दवाएं नहीं मिली। ऐसे ही आइपी श्याम गाैतम ने भी दवा के मामले में नाराजगी जताई। उन्हाेंने कहा कि उनकी भी अगुंली का कुछ हिस्सा कट कि उनकी भी अगुंली का कुछ हिस्सा कट गया था। उन्हें भी बाहर से ही दवा खरीदना पड़ती है।
डिस्पेंसरी में हाेने चाहिए 30 डाक्टर, कार्यत सिर्फ तीन
दाे नंबर डिस्पेंरी में स्टाफ की स्थिति की बात करें ताे यहां कार्डधारकाें की संख्या के हिसाब से डाक्टर ही नहीं हैं। मानक कहते हैं कि दाे हजार आइपी के हिसाब से एक डाक्टर हाेना चाहिए। दरअसल, यहां 30 डाक्टर हाेने चाहिए। दरअसल, यहां 59 हजार आइपी हैं। इस लिहाज से यहां 30 डाक्टर हाेने चाहिए लेकिन केवल तीन ही कार्यरत हैं।
क्या कहना है
मैंने कई बार आइपी के मुद्दों काे उठाया हैं। डिस्पेंसरी भी बढ़नी चाहिए, मगर ईएसआई हेल्थ केयर विभाग के अधिकारी गंभीर नहीं हैं। आइपी की परेशानी काे दूर करने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
-बेचू गिरी, नेता, श्रमिक संगठन।