नई दिल्ली 8 मार्च : कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ पर चौतरफा दबाव के बाद केंद्र सरकार ने प्रस्तावित ईपीएफ टैक्स को वापस ले लिया है। संसद में आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ईपीएफ के 60 प्रतिशत हिस्से पर लगाए जाने वाले टैक्स के प्रावधान को फिलहाल वापस ले रही है। यानी, अब से ईपीएफ की जितनी भी रकम निकालेंगे, उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। बता दें कि बजट में बजट में EPF पर टैक्स का ऐलान हुआ था।
इसके साथ ही वित्त मंत्री ने लोगों को पेंशन फंड में निवेश करने के लिए कहा। इसके अलावा एनपीएस पर अभी भी 40% रकम निकालने पर टैक्स नहीं लगेगा। वैसे वित्त मंत्री ने कहा है कि इस पर विस्तृत समीक्षा की बात कही है लेकिन फिलहाल ईपीएफ पर टैक्स का खतरा टल गया है।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से इस मामले पर दोबारा विचार करने को कहा था। कहा जा रहा था कि इस बदलाव से देश के करीब छह करोड़ वेतनभोगी प्रभावित होते। ऐसे में कयास लगाए ही जा रहे थे कि जेटली आज संसद में यह प्रस्ताव वापस लेने की घोषणा कर सकते हैं। सोमवार को कांग्रेस ने सरकार के फ़ैसले के विरोध में जंतर मंतर पर प्रदर्शन भी किया था।
बजट में क्या प्रस्ताव दिया गया था…
-40% से ऊपर ईपीएफ़ निकालने पर टैक्स
-अप्रैल से जमा 60% रकम पर लग सकता है टैक्स
-पेंशन स्कीम में निवेश पर नहीं लगेगा टैक्स
-15000 रुपये महीने से कम आय पर टैक्स नहीं
क्या था सरकार का तर्क…
-पेंशन योजना को बढ़ावा देना
-एकमुश्त पैसा न निकाल लें लोग
-आर्थिक सुरक्षा बनी रहे
-सिर्फ़ 60 लाख लोगों पर बोझ
-तीन करोड़ से ऊपर 15,000 रुपये महीने वाले
इस पूरे मामले पर काफी हो हल्ला मचा हुआ था। EPF टैक्स के खिलाफ एक लाख से ज्यादा लोगों ने ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर भी किए थे। इस टैक्स को खत्म करवाने के लिए सोशल मीडिया पर #RollBackEPF हैशटैग भी कई दिन चला जिसमें सरकार से लोगों ने अपील की कि इसे वापस ले लिया जाए।
जेटली ने टैक्स संबंधी प्रस्तावों का जिक्र आम बजट में किया था…
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था, ‘पेंशन के पैसों और ईपीएफ सहित मान्यताप्राप्त भविष्य निधि का 40 प्रतिशत हिस्सा टैक्स फ्री रहेगा| प्रस्ताव से पहले पांच साल की लगातार नौकरी के बाद कर्मचारी भविष्य निधि की निकासी पूरी तरह आयकरमुक्त थी, लेकिन नए प्रस्ताव के बाद कर्मचारियों को ईपीएफ से निकाली गई कुल राशि के 60 फीसदी हिस्से पर इनकम टैक्स देना पड़ता।