July 2, 2024

सरकार बनाने की कवायद शुरू, इन पार्टियों के नताओं के समर्थन की जरूरत, नीतिश के पीएम का सपना बन सकता है रोड़ा

Faridabad/Alive News: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे घोषित होने के साथ ही भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन और कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन ने सरकार बनाने की कवायद तेज कर दी है। 543 सदस्यीय लोकसभा में किसी भी पार्टी के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है। बहुमत के लिए 272 सीटें चाहिए, लेकिन भाजपा के पास सिर्फ 240 सीटें हैं, मगर उसके एनडीए गठबंधन के पास पर्याप्त 292 का आंकड़ा है। वहीं, इंडिया गठबंधन के पास 234 का आंकड़ा है। सरकार बनाने में सारा दारोमदार दो क्षेत्रीय पार्टियों टीडीपी और जदयू पर टिका हुआ है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जदयू नेता नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया और टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू भी आनाकानी करने लगे तो सरकार बनाने में पेच फंस सकता है। वहीं, इन दोनों के इंडिया गठबंधन के साथ जाने से उनकी सरकार बन सकती है।

नरेंद्र मोदी को अभी तक भाजपा की प्रचंड बहुमत सरकार चलाने का अनुभव रहा है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मोदी सरकार भी गठबंधन की सरकार थी। मोदी जब 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी वह भाजपा के पूर्ण बहुमत वाली सरकार के मुखिया थे। उनके पास अभी तक ऐसे गठबंधन की सरकार चलाने का अनुभव नहीं है, जिसमें भाजपा ने किसी अन्य दलों के समर्थन से सरकार चलाई हो। ऐसे में नायडू और नीतीश जैसे को संभालने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

टीडीपी-जदयू की 28 सीटों ने एनडीए को दिलाई बढ़त
चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी यानी टीडीपी और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड यानी जदयू ने मिलकर 28 सीटें जीती हैं और एनडीए को बहुमत के 272 के आंकड़े के पार तक पहुंचाया था। अभी एनडीए को 292 सीटें मिली हैं। यानी अगर इन दोनों पार्टियों की सीटें निकाल दी जाएं तो एनडीए के पास केवल 264 सीटें ही रह जाएंगी। ऐसे में दोनों की एनडीए में अहमियत काफी बढ़ गई है।

मोदी के सामने नायडू और नीतीश को साधना बड़ी चुनौती
पीएम मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को अपने साथ लेकर चलने की होगी। नरेंद्र मोदी के गुजरात से दिल्ली आने के बाद नीतीश कुमार और नायडू के रिश्ते बीजेपी से बहुत कड़वाहट भरे भी रहे हैं। नायडू और नीतीश 2014 में नरेंद्र मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने पर बीजेपी के विरोधी खेमे में रह चुके हैं और इस लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में वापसी की है।

नीतीश कुमार का पीएम बनने का सपना पड़ सकता है भारी
कहा जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक समय खुद को पीएम पद का दावेदार भी बताते थे। उनका यह सपना अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में इंडिया गठबंधन भी उनको पीएम पद का सपना दिखाकर उन्हें अपने खेमे में कर सकता है। नीतीश तो अक्सर यू-टर्न लेते रहे हैं। कभी वह भाजपा के करीब हो जाते हैं तो कभी राजद के। ऐसे में उन पर बहुत भरोसा नहीं किया जा सकता है। अब पीएम मोदी को बहुत ही फूंक-फूंककर कदम रखना होगा, ताकि टीडीपी या जदयू ‘ब्लैकमेल’ न कर सकें।