China/Alive News : चीन की विशाल अर्थव्यवस्था पर खतरा मंडरा रहा है। जहां एक तरफ पश्चिमी देश ‘ब्लैक स्वांस’ से परेशान हैं वहीं दूसरी तरफ चीन को ‘ग्रे राइनो’ की समस्या ने परेशान कर रखा है। चीन का इस ओर ध्यान तब गया है जब यह समस्या अपने विकराल रूप में आ गई है। न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक खबर के अनुसार ‘ग्रे राइनोज’ ने चीन की अर्थव्यवस्था को अंदर से खोखला करना शुरू कर दिया है।
ग्रे राइनोज चीन के ऐसे बिजनेस टाइकून हैं जिन्होंने राजनीति में अपनी घुसपैठ बना कर ग्लोबल कंपनियों का एक संगठन तैयार कर लिया है। एनबैंग इंश्योरेंस ग्रुप, फोसन इंटरनेशनल, एचएनए ग्रुप और डेलियन वांडा ग्रुप ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने सरकारी बैंकों से सस्ती दरों पर कर्जा लेकर आज अपने बड़े एंपायर खड़े कर लिए हैं।
बिजनेस के ये खिलाड़ी आज इतनी मजबूत स्थिति में आ गए हैं कि चीनी सरकार अब इन पर शिकंजा कसने जा रही है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में चेताया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए वित्तीय स्थिरता महत्त्वपूर्ण है। वहीं दूसरी तरफ कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र माने जाने वाले एक अखबार ने भी ‘ग्रे राइनोज’ से उपजे खतरों पर लेख लिखा था।
चीनी नियामक इस बात को लेकर आशंकित हैं कि इनमें से कुछ कंपनियों के संगठन बहुत मजबूत हो गए हैं। उन्होंने इतना कर्ज ले लिया है कि वो अब देश की आर्थिक व्यवस्था के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। बैंक अधिकारी अब ऐसी कंपनियों की बैलेंस शीट की जांच कर रहे हैं।
पिछले साल ही एनबैंग नामक इंश्योरंस कंपनी ने न्यूयॉर्क में वाल्डोर्फ अस्टोरिया के लिए 2 अरब डॉलर चुकाए। इसके कुछ दिनों बाद ही इस कंपनी के चेयरमैन वू जियाहुई को चीनी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, हालांकि इनके कारण का खुलासा नहीं किया गया है।
चीन का वॉरेन बफे कहे जाने वाले फोकस कंपनी ने क्लब मेड के साथ मिलकर कई बिलियन डॉलर कमाए है। 2015 में इस कंपनी के चेयर मैन गुओ गुआनचांग को अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था। कंपनी को दबाव में आकर इस बात से इनकार करना पड़ा। इसी तरह एक रीजनल एयरलाइन्स की तरह शुरू हुई एचएनए देखते ही देखते एक पॉवरहाउस बन गई। इसके पास हिल्टन होटल, दूशे बैंक और स्विसपोर्ट के भी स्टेक्स थे। बैंक ऑफ अमेरिका ने अब इस कंपनी के साथ बिजनेस न करने का निर्णय लिया है।
इसी तरह डिलियन वांडा ने भी बड़ी अमेरिकी एंटरटेनमेंट कंपनियों से जमकर मुकाबला किया। पिछले साल इसने चीन में डिज्नी को भी पीछे छोड़ दिया। अब ये कंपनी धीरे-धीरे अपने थीम पार्क और होटल बेच रही है। इन कंपनियों के साथ सबसे बुरी बात यह रही कि इन्हें कोई देखने वाला ही नहीं था। यानी इनपर कोई पकड़ नहीं बना पा रहा था। ग्रे राइनोज में एक बात सामान थी कि इन्होंने खूब सारा कर्ज ले रखा था और बहुत सारी डील्स साइन की थीं।
पिछले कई सालों तक चीन के बैंक कंपनियों को ढेर सारा कर्ज देते रहे जिससे अर्थव्यवस्था में अधिक से अधिक पैसा भेजा जा सके। 2008 की मंदी के बाद इनको बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया। इन संगठित कंपनियों ने बैंकों से हद से अधिक कर्ज ले रखा है। मिक्जिन पेई का कहना है कि इन कंपनियों के इतन अधिक फलने-फूलने का एक मात्र कारण चीनी सरकार है। अगर आप यह देखें कि ये कंपनियां अचानक इतनी बड़ी कैसे बढ़ गईं तो इसका मुख्य कारण है कर्ज।
आपको बता दें कि 2015 के आते-आते चीनी अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ने लगी। अब सरकार अधिक से अधिक डॉलर अपने देश में लाने के उपाय खोजने लगी। अचानक ही देश से बाहर जाने वाले पैसे को रोकने की जरूरत महसूस हुई। मुद्रा की कीमत गिरने से बचाने के लिए बीजिंग को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
इन कंपनियों पर सरकार ने कई तरीकों से शिकंजा कसने की कोशिश की है और यही वजह है कि इन कंपनियों को अब अपने शेयर बेचने की नौबत आ गई है। वित्तीय क्षेत्र में आई इस परेशानी के चलते न सिर्फ ‘ब्लैक स्वान’ बल्कि ‘ग्रे राइनोज’ पर भी शिकंजा कसा जाना बेहद आवश्यक है। सवाल यह है कि क्या ये कंपनियां इतना मुनाफा कमा रही हैं कि ये अपना कर्ज उतार सकें? अगर ऐसा संभव दिखाई नहीं देता तो तो बैंकों को इन संगठित कंपनियों की तरफ कड़े कदम उठाने होंगे।