December 25, 2024

लद्दाख में ड्रैगन की पत्थरबाजी, डोकलाम से ध्यान हटाने के लिए खोला नया मोर्चा

New Delhi/Alive News : डोकलाम गतिरोध के बीच चीन ने अब लद्दाख में अपना रंग दिखाया है. चीनी सेना अपनी हरकतों से हालात में तनाव पैदा करने की फिराक में है. इस बार चीन के जवानों ने लद्दाख में भारतीय जवानों पर पत्थरबाजी की है. ये घटना बेहद हैरान करने वाली है, साथ ही काफी गंभीर भी है. भारतीय एजेंसियां भी चीनी सेना की इस करतूत को बेहद संजीदगी से ले रही है.

सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख में चीनी सेना के इस रवैये का एजेंसियों ने मूल्यांकन किया है. जिसके मुताबिक-

1. लद्दाख में सीमा पर चीन की सेना का पत्थरबाजी करना हैरान करने वाली घटना है. ये न सिर्फ अप्रत्याशित है, बल्कि असामान्य भी है. माना जा रहा है कि चीन बिना कोई हथियार इस्तेमाल किए, भारतीय सेना को उकसाना चाहता है और ये हमला उसी साजिश का हिस्सा है.

2. एंजेसियों का मानना है कि पेंगोंग झील के करीब जवानों का आमने-सामने आना कोई नई बात नहीं है. सीमा को लेकर स्पष्टता न होने के कारण कई बार ऐसा होता रहता है. मगर, इस तरीके से हमला करना किसी पूर्व निर्धारित रणनीति का हिस्सा नजर आता है.

3. सूत्रों के मुताबिक, एजेंसियों का ये भी मानना है कि इस घटना के पीछे डोकलाम में चल रहा गतिरोध भी हो सकता है. माना जा रहा है कि ये घटना वास्तविक नियंत्रण लेखा के अलावा दूसरे मोर्चों पर तनाव बढ़ाने की चीन की साजिश का हिस्सा हो सकती है.

4. सेना द्वारा पत्थरबाजी की घटना को बॉर्डर पर शांति प्रस्ताव के प्रोटोकॉल को आघात पहुंचाने वाला माना जा रहा है. ये भी समझा जा रहा है कि ये घटना सीमा पर जवानों के बीच की स्थिति को और बिगाड़ सकती है.

5. इस बात को लेकर भी सवाल है कि क्या इस घटना को बॉर्डर गश्ती दल मीटिंग में चर्चा का हिस्सा बनाया जा सकता है. क्योंकि इस बार दोनों देश के जवानों के बीच आमने-सामने से टकराव हुआ है, बल्कि दोनों तरफ ही जवानों को चोटें भी आई हैं.

लद्दाख की घटना को लेकर इन तमाम पहलुओं पर विमर्श किया जा रहा है. अब देखना होगा कि डोकलाम पर चीन के अड़ियल रुख के बीच लद्दाख में उसकी सेना की ये हरकत दोनों देशों के बीच कायम तनाव की स्थिति को क्या दिशा देती है.

चीन में है झील का 60 फीसदी हिस्सा

बता दें कि पेंगोंग हिमालय में एक झील है. जिसकी ऊंचाई लगभग 4500 मीटर है. यह 134 किमी लंबी है और भारत के लद्दाख से तिब्बत पहुंचती है. इस झील का करीब 60 फीसदी हिस्सा चीन में है.