Palwal/Alive News : कोरोना महामारी की दूसरी लहर की परिस्थितियों के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स ने पूरे समर्पण भाव से अपनी जिम्मेवारी निभाते हुए लोगों के जीवन की सुरक्षा को तत्पर रहे, ताकि अधिक से अधिक लोगों को कोरोना से बचाया जा सके। इस दौरान वे पारिवारिक व सामाजिक जिम्मेवारी भी नहीं निभा पर रहे, क्योंकि उनके लिए ड्यूटी व अपना कर्तव्य सर्वोपरि है।
सिविल सर्जन डा. ब्रह्मïदीप कोरोना के इस दौर में विभाग का कुशल नेतृत्व करते हुए करीब एक महीने से दिन-रात अपनी ड्यूटी पर अडिग हैं।
उन्होंने कोरोना मरीजों का जीवन बचाने के लिए सरकारी अस्पतालों में हरसंभव सुविधाएं जुटाई और सुविधाओं का निरंतर विस्तार किया। वे बताते हैं कि उनके जीवन में पिछला एक महीना चुनौतियों से भरा रहा। जब उनका खुद का परिवार भी कोरोना की चपेट में आ गया, जिसमें उनके माता-पिता भी शामिल थे। उनके कुछ रिश्तेदारों की भी इस दौरान असमय मौत हो गई। इन विकट परिस्थतियों के बावजूद वह अपनी ड्यूटी पर बने रहे और जिला में कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्य विभाग की टीमों को मजबूत नेतृत्व देने का काम किया।
उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी से उनकी जब भी बात होती है तो वे कभी-कभार उन्हें घर आने के लिए कहती हैं, जिस पर उनका जवाब होता है कि डॉक्टर का प्रोफेशन जिम्मवारी से मुंह मोडऩा नहीं सिखाता। इस समय पलवल के लोगों की जान बचाना उनका मुख्य कर्तव्य है। जब तक हालात सामान्य नहीं होते, तब तक वह घर नहीं आ सकते। उन्होंने कहा कि उन्होंने कोरोना की परिस्थितियां आम आदमी की बजाय बहुत नजदीकी से देखी हैं, इसलिए वे जिलावासियों का आह्वïान करते हैं कि वे कोरोना बीमारी को हल्के में न लें और हरहालत में खुद को सुरक्षित रखें, जिसके लिए जरूरी है कि घरों से बाहर न आएं, सामाजिक दूरी बनाएं रखें तथा हर समय मास्क का उपयोग करें।
उप सिविल सर्जन डा. योगेश मलिक ने बताया कि कोरोना के इस दौर में डॉक्टर फ्रंटलाइन योद्धा की तरह अपनी जान हथेली पर रखकर लोगों की सेवा करने में जुटे हुए हैं। उन्हें वैक्सिनेशन कार्यक्रम का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उनका लक्ष्य है कि वे जिला के अधिक से अधिक लोगों का वैक्सीन कर उन्हें सुरक्षा चक्र में बांध दें, ताकि संक्रमण का फैलाव रूक सके। इसके लिए फील्ड मेें अनेक टीमें तैनात की गई हैं।
सिविल अस्पताल में कार्यरत डा. अक्षय जैन ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्हें अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड की जिम्मेवारी मिली और वे कोरोना मरीजों की सेवा में जुट गए। अस्पताल में काफी संख्या में कोरोना मरीज आ रहे थे और अधिकतर समय कोरोना मरीजों की देखभाल में गुजरता था। कई बार घर जाने के बाद भी उन्हें देर रात को फिर अस्पताल में आना पड़ता है। इस दौर में वे खुद भी कोरोना से संक्रमित हुए। लेकिन इसके बावजूद वे भयभीत नहीं हुए। उन्होंने कहा कि मरीजों की सेवा करना डॉक्टर का पहला कर्म है। उन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार गाजियाबाद में रहता है, इसलिए इन परिस्थितियों के कारण वे पिछले डेढ़ महीने से न तो घर गए हैं और न ही कोई छुट्टïी ली है।
डा. अनमोल जिंदल ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में जब मरीजों की संख्या सिविल अस्पताल में बढऩी शुरू हुई तो उनकी ड्यूटी कोविड वार्ड व आईसीयू में लगाई गई। उन्होंने अपनी ड्यूटी को मानवता की सेवा भाव के उद्देश्य से निभा रहे हैं। पिछले एक महीने से वे लगातार अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं। घर जाने पर वह दूर से ही घरवालों से मिल पाते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने में उन्होंने सैंकड़ों मरीजों का इलाज कर उन्हें कोरोना से बचाया है। इस दौरान कुछ दुखद मृत्यु भी हुई, लेकिन उनकी कोशिश में कोई कमी नहीं रही, जिस बात को कोरोना मरीजों के परिजन भी बखूबी समझते थे। कई बार जब किसी मरीज के लिए बैड्स की समस्या आ जाती तो वे तुरंत उसका समाधान भी करवाते थे।
सिविल अस्पताल में सचिवीय सहायक के पद पर कार्यरत अनिता सौरोत ने बताया कि वे कोरोना के इस दौर में निरंतर अपनी ड्यूटी पर आ रही हैं और पिछले करीब दो महीने से कोई अवकाश भी नहीं लिया है। इस दौरान उनके पिताजी गंभीर रूप से बीमार हुए, लेकिन वह उनसे नहीं मिल पाईं। क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं कोरोना का संक्रमण उन तक न पहुंच जाए। बीच में बेटे की तबीयत खराब हुई, लेकिन वह तब भी छुट्टïी नहीं ले पाई और निरंतर अपनी ड्यूटी पर तैनात रही। उन्होंने बताया कि इन परिस्थतियों में वह अपने छोटे बच्चों से अधिकतर समय दूर ही रहीं हंै और ज्यादातर समय ड्यूटी पर गुजरता है। जब घर पर जाती हैं तो पहले खुद को पूरी तरह सैनेटाइज करके ही परिवार के लोगों से मिलती हैं।