Faridabad/Alive News : लोगों की बढ़ती उम्र अक्सर कई बीमारियों और समस्याओं की वजह बन जाती है। ऐसे में कई बार घरवालों को लगता है कि बुजुर्ग उन्हें जानबूझ कर परेशान कर रहे हैं, जबकि वह जानबूझ नहीं बीमार होते हैं और उन्हें सही देखभाल और प्यार की जरुरत होती है। इसी तरह अक्सर जब आप ये भूल जाते हैं कि किस शहर में हैं, कौन-सा महीना या साल चल रहा है। बेवजह गुस्सा आता है। तारीख भी किसी से पूछनी पड़ती है। तो ऐसे लोग डिमेंशिया रोग से पीडि़त होते हैं। यह कहना है सेक्टर 16ए स्थित मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रोहित गुप्ता का।
अस्पताल में आयोजित एक कार्यक्रम में मरीजों को जागरुक करते हुए डॉ. रोहित गुप्ता ने कहा कि आमतौर पर अल्जाइमर या डिमेंशिया को बुढ़ापे की बीमारी ही माना जाता है, लेकिन खराब खानपान और आधुनिक जीवनशैली कब आपको इसका शिकार बना दें, कह नहीं सकते।
अगर किसी की याददाश्त इतनी कमजोर हो गई हो कि उसका असर रोजाना के काम पर पडऩे लगता है। ऐसे लोग अक्सर लोगों के नाम भूल जाते हैं, सामान रखकर भूल जाते हैं, कभी-कभी जोर से बोलने या रोने भी लगते हैं। दिन में कई बार नहाते है। घरवालों को लगता है कि वह जान-बूझ कर ऐसा कर रहे हैं। इस बीमारी में दिमाग के कुछ खास सेल्स खत्म होने लगते हैं, जिससे उस शख्स की सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है और बर्ताव में भी बदलाव आ जाता है।
डिमेंशिया की दो कैटिगरी होती है एक, जिसका बचाव या इलाज मुमकिन है और दूसरा उम्र के साथ बढऩे वाला। पहली कैटिगरी में ब्लड प्रेशर, डायबीटीज, स्मोकिंग, ट्यूमर, टीबी, विटामिन की कमी आदि से होने वाला डिमेंशिया आता है तो दूसरी कैटिगरी में अल्टशाइमर्स, फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया और वस्कुलर डिमेंशिया आता है।
क्या हैं वजहें
– बढ़ती उम्र, आमतौर पर 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग बनते हैं शिकार
– बहुत ज्यादा स्मोकिंग करना
– बिल्कुल एक्सरसाइज न करना
– ब्लड प्रेशर ज्यादा होना
– फैमिली हिस्ट्री होना
इलाज
– डिमेंशिया के इलाज के लिए न्यूरॉलजिस्ट से मिलें। अगर डिमेंशिया की वजह विटामिन की कमी या दवाओं का साइड इफेक्ट है तो वह इलाज के साथ बेहतर हो सकता है।
– मोटेतौर पर ब्रेन में एसिटाइल कोलिन (मेमरी का बेसिक ट्रांसमीटर) को बढ़ाने वाली दवाएं दी जाती हैं। इनका असर अच्छा ही होता है।