Faridabad/Alive News : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बीएस अनंगपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ में “किशोर न्याय अधिनियम 2015” पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जिला और सत्र न्यायाधीश चेयरमैन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण वाईएस राठौर और प्रतीक जैन के कुशल मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
उन्होंने बताया कि बच्चों को जब पेश किया जाता है, तो वह अधिकारी सादा वर्दी में होना चाहिए। बच्चों को लॉकअप में नहीं रखा जा सकता। बच्चों को यदि उसके पास कोई जन्म का साक्ष्य ना है तो उस बच्चे की शारीरिक बनावट व क्षमता को देखकर बच्चे के हित को देखते हुए बच्चे को जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड में ही पेश किया जा सकता है। बच्चे या किशोर से किसी कागज पर हस्ताक्षर ना लिए जाए और ना ही कबूलनामा लिखा जाए।
कार्यक्रम में पैनेल अधिवक्ता रविन्द्र गुप्ता ने जुवेनाईल जस्टिस एक्ट के बारे में वहां उपस्थित सभी विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 में हुए सुधारों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि जो बच्चे 16 से 18 साल तक के हैं और जो जघन्य अपराध में लिप्त है। तो उनके बारे में जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड को प्रिम्लरी एसेसमेंट करनी होती है। इस एसेसमेंट के बाद यह पाया जाता है कि बच्चा या किशोर जिसका दिमागी स्तर परिपक्वा है तो उसके केस को चिल्ड्रन कोर्ट में भेज दिया जाता है।