November 25, 2024

दिल्‍ली सरकार ने पटाखों पर लगाया प्रतिबंध, व्‍यापारी नाराज

New Delhi/Alive News : दिल्‍ली में प्रदूषण को देखते हुए दिल्‍ली सरकार ने इस वर्ष भी दिवाली पर पटाखों की बिक्री, इस्‍तेमाल और स्‍टोर करने पर रोक लगा दी है. सरकार का कहना है कि यह फैसला लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए लिया गया है. वहीं दूसरी और पटाखा व्‍यापारियों में गुस्‍सा है. उनका कहना है कि इसके लिए एडवांस पहले दिसंबर जनवरी में दे देते हैं और त्‍यौहार में कमाई कर पूरे साल घर का खर्च चलाते हैं. अगर बंद करना है तो पटाखों का प्रोडक्‍शन बंद करना चाहिए. हालांकि आसपास के राज्‍यों से जलने वाली पराली से भी दिल्‍ली में प्रदूषण का स्‍तर बढ़ जाता है.

दिल्‍ली-एनसीआर में पटाखों की सबसे बड़ी मार्केट सदर बाजार है. यहीं से आसपास के सभी शहरों में पटाखे जाते थे. दिल्‍ली में लगातार एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स खराब होने की वजह से केजरीवाल सरकार ने 2016 से पटाखों की बिक्री, उपयोग और स्‍टोर पर प्रतिबंध लगा रखा है. इस वर्ष भी दिल्‍ली सरकार ने पटाखों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. सदर बाजार में पटाखों के व्‍यापारियों में खासी नाराजगी है. इस संबंध में सदर बाजार फायर वर्क्‍स ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्‍यक्ष नरेन्‍द्र गुप्‍ता बताते हैं कि पटाखों का काम व्‍यापारी दो तरह से करते हैं, एक स्‍थाई लाइसेंस से और दूसरा अस्‍थाई लाइसेंस से होता है.

वे बताते हैं कि अस्‍थाई लाइसेंस वाले हैंड टू माउथ होते हैं, दिवाली के दौरान होने वाली कमाई से व्‍यापारी का पूरे साल का गुजारा होता है. एक अस्‍थाई लाइसेंस से 20 से 25 परिवार को गुजारा होता है. पहले केवल सदर बाजार में 175 अस्‍थाई लाइसेंस लिए जाते थे, लेकिन अब संख्‍या 17 के करीब बची है. वर्ष 2019 में करीब 15 करोड़ का कारोबार हुआ था, लेकिन 2020 में केवल चार दिन के लिए लाइसेंस दिए गए, जिससे व्‍यापारियों का काफी नुकसान हुआ है. वे बताते हैं कि प्रदूषण को देखते हुए ग्रीन पटाखों का प्रोडक्‍शन और बिक्री शुरू कर दी गई थी, लेकिन सरकार ने अब वो भी बंद करा दिया है.

सदर बाजार फेडरेशन के अध्‍यक्ष राकेश यादव का कहना है कि सरकार का फैसला सही है लेकिन गलत समय पर लिया गया है. शिवाकाशी में पूरे साले पटाखे बनते हैं. पटाखा व्‍यापारी दिसंबर या जनवरी में एडवांस में पटाखा बुक करा देते हैं. इसके लिए कुछ व्‍यापारी लोन लेकर भी एडवांस पेमेंट कर देते हैं. इस समय व्‍यापरियों का माल गोदाम में आ चुका है. अब ये व्‍यापारी पटाखों का क्‍या करेंगे. बल्कि इस तरह प्रतिबंध लगाने से लोग आसपास के शहरों से चोरी छिपे पटाखे लेकर आते हैं और दिवाली में छुड़ाते हैं, जिससे प्रदूषण फैलता है. दिल्‍ली सरकार को अगर पटाखे बंद करने है तो केन्‍द्र सरकार से बातकर इनका प्रोडक्‍शन ही बंद कराए, तभी दिल्‍ली सरकार का उद्देश्‍य सफल होगा.