New Delhi/ Alive News : कभी दाऊद इब्राहीम के करीबी और अब उसके दुश्मन छोटा राजन को मारने की डी-कंपनी ने दिल्ली के गैंगस्टर नीरज बवाना को सुपारी दी थी. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट इस बात के संकेत देती है. खुफिया एजेंसियों ने दो हफ्ते पहले इस तरह की सूचना तिहाड़ जेल के साथ साझा की है. छोटा राजन तिहाड़ में ही बंद है. एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक खुफिया एजेंसियों को इस बात के इनपुट मिले थे कि दाऊद इब्राहीम अपने जानी दुश्मन छोटा राजन को नीरज बवाना के जरिये रास्ते से हटाने की योजना बना रहा है. दरअसल गैंगस्टर नीरज बवाना के एक सहयोगी ने शराब के नशे में यह बात अपने साथी से कही. यह सूचना खुफिया एजेंसियों तक पहुंची और उसके बाद छोटा राजन की चाक-चौबंद सुरक्षा के इंतजामों की समीक्षा की गई.
एक चैनल के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार सूत्रों के मुताबिक तिहाड़ में ही बंद नीरज बवाना ने अपने एक मुलाकाती से बातचीत के दौरान भी इस योजना के संकेत दिए थे. उल्लेखनीय है कि छोटा राजन और नीरज बवाना तिहाड़ की जेल नंबर 2 के अलग-अलग सेल में बंद हैं. अलर्ट के बाद नीरज बवाना को इस जेल से हटाकर दूसरे सेल में डाला गया है. जब बवाना का सेल बदला गया, उससे कुछ दिन पहले उसके सेल से एक मोबाइल फोन भी बरामद किया गया था. दरअसल छोटा राजन को मुंबई या महाराष्ट्र की जेल से दूर दिल्ली की जेल में रखा ही इसलिए गया है क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों को लगता है कि यहां की चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के चलते दाऊद इब्राहीम और उसके नेटवर्क को इसमें सेंध लगाना मुश्किल होगा.
बैंकाक में राजन पर हमला
1993 में मुंबई बम धमाकों के बाद छोटा राजन ने दाऊद गैंग को छोड़ दिया था. उसके बाद से ही दाऊद का ‘डी’ गैंग उसको ठिकाने लगाने की कोशिशों में लगा है. 2001 में बैंकाक में छोटा राजन पर इसी कड़ी में जानलेवा हमला हुआ था. उस वक्त जिस फ्लैट में छोटा राजन छुपा था, वहां पर चार लोगों ने पहुंचकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी. राजन तो किसी तरह खिड़की से कूदकर भाग निकला था लेकिन उसका सहयोगी रोहित वर्मा उस फायरिंग में मारा गया था. माना जाता है कि उस शूटआउट का मास्टमाइंड दाऊद का करीबी छोटा शकील था. कहा जाता है कि छोटा राजन के सहयोगी शरद शेट्टी ने उसके ठिकाने के बारे में शकील को सूचना दी थी. बाद में छोटा राजन के गुर्गों ने मुंबई में शरद शेट्टी को मार दिया था.
इंडोनेशिया से गिरफ्तारी
बैंकाक में बचने के बाद छोटा राजन खाड़ी देशों के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया पहुंच गया. वहां सात साल रहने के बाद 2015 में उसके खानसामे ने उसकी लोकेशन को सार्वजनिक कर दिया. वहां पर भी छोटा राजन ने उसको मारने की कोशिशें की. उसके छह महीने बाद इंडोनेशिया के बाली से रहस्यमय ढंग से राजन को गिरफ्तार कर भारत लाया गया.