New Delhi/Alive News: सांसद डा सुशील गुप्ता ने कहा कि आम आदमी की आवाज को दबाने के लिए हरियाणा सरकार के किए गए प्रयास ने अंग्रेजी शासन की याद दिला दी है। लोगों को अपने हक मांगने और अपनी आवाज उठाने से रोकने में कोई कसर नहीं छोडी है।
आम आदमी पार्टी ने बीते मंगलवार को दिल्ली बाॅर्डर पर स्थित हरियाणा के खोरी गांव को तोड़ने से पहले लाखों लोगों के पूर्नवास ना दिए जाने की मांग को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया। ‘आप’ के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता ने खोरी गांववासियो के लिए पूर्नवास हेतू पीएम को ज्ञापन भी दिया।
मगर सांसद सुशील गुप्ता और उनके साथ मौजूद कार्यकर्ताओं को बिना किसी जानकारी के दिल्ली और फरीदाबाद पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया। सांसद गुप्ता को पुलिस ने अपराधियों की तरह पांच घंटे तक सड़कों पर घुमाया और उनके साथ अभद्रता का व्यवहार करते हुए उन पर दवाब बनाया।
उन्होंने कहा यह साफ है कि वर्तमान में केन्द्र व हरियाणा प्रदेश की भाजपा सरकार देश की जनता के साथ अंग्रेजो से भी बदतर व्यवहार कर रही है। ऐसा तो अंग्रेजों के शासनकाल में भी नहीं हुआ करता था। मगर खटटर सरकार ने तो किसी फरियादी की बात तक सुनना गंवारा नहीं समझा।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने खोरी गांव को तोड़ने का आदेश दिया है, हम उस आदेश के खिलाफ नहीं है। लेकिन हरियाणा सरकार ने जो लोगों का बिना पुनर्वास किए ही गांव को तोड़ने का आदेश दे दिया, वह सरासर नाइंसाफी और अमानवीय है। हरियाणा सरकार पहले खोरी गांव में रहने वाले लोगों का पुनर्वास करें।
आजादी के दशकों बाद भी देश में अंग्रेजी राज की तर्ज पर शासन चलाया जा रहा है और लोगों को बिना किसी कसूर के हिरासत में लिया जा रहा है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के बाॅर्डर पर हरियाणा के फरीदाबाद में खोरी गांव करीब 40-50 साल से बसा हुआ है, खोरी गांव में ज्यादातर लोग बिहार और उत्तर प्रदेश से आकर रह रहे हैं।
खोरी गांव की एक लाख की आबादी में गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे भी हैं और वे मजदूर भी हैं, जिन्होंने अपने सिर पर टोकरी ढोकर फरीदाबाद का निर्माण किया। जो फरीदाबाद के लोगों के घरों के अंदर चूल्हा चौका और सफाई का काम करते हैं। इन लोगों ने अपनी पूरी जिंदगी की जमा पूंजी बचा कर जमीन खरीदी और मकान बनाया।
वहां पर उनके बच्चे पैदा हुए, उनकी शादी हुई। वह केवल अपना पूर्नवास देने की मांग सरकार से कर रहें है,जोकि इनका हक भी है। उन्होंने कहा कि पिछले 30 साल से वहां नगर निगम का प्राथमिक विद्यालय भी चल रहा है, परंतु आज अचानक उस गांव को तोड़ने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया। भारत सरकार ने कोर्ट में अपनी पैरवी मजबूती से नहीं की, जबकि हरियाणा सरकार तो पूरी अनदेखी की और अब बिना पुनर्वास किए उस गांव को उजाड़ने में लगे हुए हैं।
हमने उस गांव के पुनर्वास की मांग की थी। उन्होंने बताया कि वह हरियाणा पुलिस के डीजीपी, फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर और दिल्ली पुलिस के पुलिस कमिश्नर को सूचना दी है। उसके बावजूत हरियाणा पुलिस ने मुझे हिरासत में लेकर 5 घंटे तक अपराधियों की तरह सड़क पर घुमाया। हरियाणा पुलिस के एसीपी मोजीराम थे और दिल्ली पुलिस के एसीपी अजय कुमार थे।
दोनों पुलिस ने मिलकर लगभग 5 घंटे तक सड़क पर घुमाया। पहले सराय ख्वाजा पुलिस लेकर गए, उसके बाद बीपीटी पुलिस स्टेशन फरीदाबाद लेकर गए और इसके बाद सेक्टर-37 पुलिस स्टेशन फरीदाबाद लेकर गए। करीब 4ः30 घंटे के बाद वे मेरे खिलाफ कोई केस बनाकर लाए और कहा कि आप जमानत के लिए आवेदन करें। उनके अनुसार उनके साथ सौरभझा, अब्दुल रहीम, फरीदाबाद के जिला अध्यक्ष धर्मवीर भडाना, हिसार के अध्यक्ष संजय भूरा,ओम प्रकाश गुप्ता सहित सैकडो कार्यकर्ता शामिल थे।