November 17, 2024

बच्चों को 8वी तक फेल करने की नीति में आ सकता है बदलाव

New Delhi/Alive News : राज्य सरकार बच्चों को फेल न करने की नीति में बदलाव चाहती हैं। एचआरडी (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) की संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अधिकांश राज्य चाहते हैं कि बच्चों को आठवीं तक फेल न करने की नीति में बदलाव हो। उनकी दलील है कि आरटीई एक्ट 2009 में इसके लिए बदलाव बेहद जरूरी है। बता दें कि आरटीई एक्ट 2009 में यह प्रावधान किया गया है कि बच्चों को आठवीं तक फेल न किया जाए। राज्यों की मांग पर सरकार ने 2017 में संशोधित बिल पेश किया था। इससे यह सुनिश्चित किया जाना था कि एक ऐसी नीति तैयार हो जिससे बच्चों की क्षमता निखर कर सामने आ सके। राज्यसभा ने बिल को संसदीय समिति के हवाले किया गया था, जिससे वह इसका अध्ययन कर बता सके कि कौन सा कदम ठीक रहेगा।

बच्चों के फेल होने पर दोबारा हो परीक्षा

भाजपा सांसद सत्यनारायण जटिया की अगुआई वाली संसदीय समिति ने कहा है कि केवल छह राज्य व केंद्र शासित प्रदेश यह चाहते हैं कि फेल न करने की नीति बनी रहे। जबकि बाकी के राज्यों का मत है कि इस बिल में संशोधन किया जाना चाहिए। नए बिल में प्रावधान है कि हर साल पांचवी व आठवीं कक्षा में नियमित परीक्षा कराई जाए। अगर विद्यार्थी फेल हो जाता है तो उसका दोबारा टेस्ट लिया जाए। संसदीय समिति का भी मानना है कि पांचवी व आठवीं कक्षा में परीक्षा के जरिए ही बच्चों का आकलन किया जाना चाहिए। इससे उनकी गुणवत्ता व क्षमता में इजाफा होगा।

– निवास क्षेत्र के एक किलोमीटर के भीतर प्राथमिक स्कूल और तीन किलोमीटर के अन्दर माध्यमिक स्कूल उपलब्ध होना जरूरी।

– निर्धारित दूरी पर स्कूल न होने पर स्कूल आने के लिए छात्रावास या वाहन की व्यवस्था।

– स्कूल में दाखिला देने के लिए अभिभावकों का साक्षात्कार के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

– अनुदान की राशि मांगने या साक्षात्कार लेने के लिए भारी दंड का प्रावधान है।

– 8वीं तक किसी भी बच्चे को कक्षा में फेल नहीं किया जाएगा।
– 8वीं क्लास तक की शिक्षा पूरी करने तक किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं हटाया जाएगा।

– स्कूलों में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था।

– किसी भी बच्चे को मानसिक यातना या शारीरिक दंड नहीं दिया जाएगा।

– शिक्षक या शिक्षिका के निजी शिक्षण पर रोक।