जयपुर : इंडियन सोसाइटी ने भले ही अभी लिव इन को पूरी तरह से स्वीकारा नहीं हैं लेकिन राजस्थान में गरासिया ट्राइब के लोग पिछले एक हजार सालों से लिव इन में रहते और बच्चे पैदा करते हैं। हालांकि ट्राइब होने के चलते भले ही ये इसका मतलब नहीं जानते हो। बता दें कि राजस्थान 30 मार्च को अपना फाउंडेशन डे मनाने जा रहा है। इस सीरीज के तहत आज आपको गारासिया ट्राइब के बारे में बता रहा है। शादी की तो नहीं होगी संतान…
– गरासिया, राजस्थान और गुजरात के कई जिलों में रहते हैं। राजस्थान के पाली, उदयपुर और सिरोही जिले के कुछ गांवों में इनके परिवार बसे हैं।
– गरासिया ट्राइब में कई पीढ़ियों से कुछ परिवारों में कोई शादी नहीं हुई। धारणा ये है कि इनके परिवारों में किसी ने पहले शादी की तो संतान नहीं होगी।
– दरअसल सालों पहले गरासिया समाज के चार भाई कहीं जाकर बस गए थे। तीन ने शादी की और एक बिना शादी (लिव इन रिलेशन) के रहने लगा।
– संयोग से शादीशुदा भाइयों को कोई औलाद नहीं हुई। सिर्फ चौथे भाई की वजह से वंश और परिवार चला।
– कहते हैं कि इसी के बाद, गरासिया समाज की पीढ़ियों से यह धारणा चली आ रही है।
लिव इन से पहले भागते हैं एक दूसरे के साथ
– राजस्थान और गुजरात में इस समाज का दो दिन का ‘विवाह मेला’ लगता है, जिसमें टीनएजर एक दूसरे से मिलते हैं और भाग जाते हैं।
– भागकर वापस आने पर लड़के-लड़कियां बिना शादी के पति-पत्नी की तरह साथ रहने लगते हैं।
– हालांकि, बच्चे पैदा होने के बाद वे अपनी सहूलियत से कभी भी शादी कर सकते हैं।
– इतना ही नहीं दूल्हे के घरवाले शादी का खर्चा उठाते हैं और शादी भी दूल्हे के ही घर में होती है।
– इसके अलावा गरासिया समाज के पंचायत की ‘दापा प्रथा’ यानी लड़का-लड़की के सहमत होने पर लड़की पक्ष को सामाजिक सहमति से कुछ पैसे दे दिए जाते हैं।