नई दिल्ली : ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि वह लोन डिफाल्टर विजय माल्या को निर्वासित नहीं कर सकता है और इसके स्थान पर उसने भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध पर विचार करने को कहा है। टीओआई की खबर के अनुसार, ब्रिटेन ने स्वीकार किया है, “माल्या के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं और वह भारत सरकार के साथ इस मसले पर सहयोग करना चाहता है।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा है, “उन्हें भारत सरकार से बातचीत कर आपस में कानूनी सहायता और प्रत्यर्पण के अनुरोध पर विचार करना चाहिए।” विकास स्वरूप ने कहा है, “ब्रिटिश सरकार ने हमें सूचना दी है कि 1971 के आप्रावासी कानून के तहत, ब्रिटेन को यह आवश्यकता नहीं है कि वह एक ऐसे व्यक्ति जिसके पास उनके देश में प्रवेश करते समय या प्रमाणित पासपोर्ट है तो वो उसे निर्वासित नहीं कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर ब्रिटिश सरकार ने यह भी स्वीकार किया है कि माल्या पर लगे आरोप गंभीर है और वह भारत सरकार की मदद के लिए तैयार है।”
इसका अर्थ साफ है कि जिस समय माल्या ने ब्रिटेन में प्रवेश किया उस समय उनका पासपोर्ट वैलिड था और ऐसे में माल्या कानूनी तौर पर ब्रिटेन में रह सकते हैं। माल्या ने दो मार्च को भारत छोड़ा था और भारत सरकार ने उसके बाद ही उनका पासपोर्ट रद किया था। इस तरह से देखा जाए तो माल्या के ब्रिटेन पहुंचने पर उनका पासपोर्ट वैलिड था।
माल्या पर भारतीय बैंकों के 9000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। देश छोड़ने के बाद माल्या को मनी लांड्रिंग के आरोप में ईडी द्वारा तीन समन जारी किए गए थे जिन्हें उन्होंने अनदेखा कर दिया था। तभी से कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वार्ंट भी जारी कर रखा है। इस शराब कारोबारी के वकीलों को यह चिंता है कि यदि माल्या स्वदेश लौटते हैं तो उन्हें एयरपोर्ट से सीधे दिल्ली के तिहाड़ जेल भेजा जा सकता है।