Lifestyle/Alive News : कई बार चोट लगने या कटने के कुछ देर बाद खून बहना बंद हो जाता है। खून का थक्का जमने के कारण शरीर से खून का रिसाव बंद होना एक सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि कुछ लोगों में चोट लगने पर खून का थक्का नहीं बन पाता है जो कि हीमोफीलिया बीमारी होने के कारण होता है। यह एक आनुवंशिक बीमारी है। इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है।
हीमोफीलिया बीमारी एक मुश्किलभरी परेशानी है। इस बीमारी के लोगों को बहुत सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है। इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी एवं हेमेटोलॉजी डिपार्टमेंट के कन्सल्टेन्ट डॉ. सुनित लोकवानी ने इसे लेकर अहम बातें बताई हैं।
हीमोफीलिया रोग होने के कारण
हीमोफीलिया रोग से पीड़ित व्यक्ति के खून में थक्का बनने की क्षमता बहुत कम होती है। ऐसे में हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को बड़ी सावधानी बरतना पड़ती है क्योंकि मामूली सी चोट लगने पर बहुत अधिक खून बहने लगता है। हीमोफीलिया रोग में जीन्स में बदलाव के कारण शरीर में क्लॉटिंग फैक्टर प्रोटीन का निर्माण नहीं हो पाता है।
हीमोफीलिया रोग के दो प्रकार होते हैं- ‘हीमोफीलिया-A’ और ‘हीमोफीलिया-B’। हीमोफीलिया-A से ग्रस्त रोगियों के खून में थक्के बनने के लिए आवश्यक ‘फैक्टर-8’ की कमी हो जाती है। वहीं दूसरी ओर हीमोफीलिया-B में ‘फैक्टर-9’की कमी हो जाती है। इंसान के शरीर में दोनों ही घटक खून का थक्का बनाने के लिए बेहद जरूरी होते हैं।
हीमोफीलिया के लक्षण
हीमोफीलिया बीमारी के लक्षण फैक्टर-8 या फैक्टर-9 के आधार पर हल्के या गंभीर हो सकते हैं। खून में मौजूद थक्कों के स्तर के आधार पर हीमोफीलिया की गंभीरता का पता किया जा सकता है। लंबे समय तक रक्तस्राव होने के अलावा भी कुछ सामान्य लक्षणों के जरिए हीमोफीलिया के बारे में पता किया जा सकता है।
हीमोफीलिया से पीड़ित मरीजों की नाक और मसूड़ों से भी लगातार खून बहने के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा त्वचा आसानी से छिल जाती है। शरीर में आंतरिक रक्तस्राव के कारण कुछ लोगों में जोड़ों में दर्द की भी शिकायत के अलावा सिर के अंदर भी रक्तस्राव हो सकता है, जिससे तेज सिरदर्द, गर्दन में अकड़न जैसी समस्या हो सकती है।
हीमोफीलिया का इलाज
हीमोफीलिया का इलाज कर पाना पहले काफी मुश्किल था, लेकिन अब ग्रसित मरीज के शरीर में फैक्टर-8 या फैक्टर-9 की कमी होने पर बाहर से इंजेक्शन के जरिए इसकी पूर्ति की जाती है। वहीं मरीज में यदि बीमारी की गंभीरता कम है तो दवाओं के जरिए भी इलाज किया जा सकता है।
हीमोफीलिया रोग में सावधानियां बरतें
हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को अपने बच्चों की पहले से ही जांच करा लेनी चाहिए, क्योंकि यह एक आनुवंशिक बीमारी है। आमतौर पर अधिकांश मरीजों में फैक्टर-8 की कमी देखी जाती है। पहले से जांच कराने पर सावधानी रखी जा सकती है और इंजेक्शन देकर तत्काल इलाज किया जा सकता है।