November 15, 2024

भाजपा की महाभारत में फंसे एनआईटी के ‘रावण’

दशहरे पर जनता के बीच भाजपा की गुटबाजी

Faridabad/Alive News : बडख़ल विधानसभा के एनआईटी दशहरा मैदान में मनाया जाने वाला दशहरा पिछले वर्ष की तरह इस बार भी राजनीति की भेट चढ़ गया। केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और सीपीएस सीमा त्रिखा ने अपने पद का दुप्रयोग करते हुए 67 साल से मानाए जाने वाले दशहरे पर्व को फिर से काला दशहरा बना दिया है। दो वर्ष पूर्व सिद्धपीठ हनुमान मंदिर के प्रधान पद को लेकर बीजेपी ने एक गुट को समर्थन दिया, लेकिन कुछ दिन पूर्व हाईकोर्ट ने राजेश भाटिया को मंदिर का प्रधान बने रहने के आदेश दिए। जिस पर राजेश भाटिया ने दशहरा आयोजन धूम धाम से मनाने की घोषणा की।

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दशहरे को लेकर मन्दिर के पदाधिकारियों ने पूरी तैयारियों के साथ सभी इंतजाम पूरे कर लिए थे। हालांकि लंका दहन बीजेपी के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल के द्वारा कराया गया। शायद, बडख़ल विधानसभा में कैबिनेट मंत्री का आकर लंका दहन करना बडख़ल की विधायक को रास नहीं आया। इसी वजह से दशहरे से एक दिन पहले ही प्रशासन को दशहरा मैदान में भेजकर मुख्य स्थान से रावण का पुतला हटवाने के आदेश दे दिए गए।

लेकिन मंदिर के कार्यकर्ता व पदाधिकारी इस बात पर अड़े रहे की 67 साल से पुतले जहंा लगते है वहीं लगेंगे, इस बीच प्रशासन व कार्यकर्ताओ के बीच झड़प भी हुई, बाद में आधी रात करीब ढाई बजे हनुमान मंदिर के पदाधिकारियो ने दशहरा न मानाने का निर्णय लिया और रावण का सिर काटकर ले गए। प्रशासन की इस दखलंदाज़ी को देखते हुए पूर्व विधायक चन्दर भाटिया भी मंदिर के समर्थन में आ खड़े हुए है और केंद्रीय मंत्री व सीपीएस सीमा त्रिखा पर आरोप लगते हुए कहा कि कृष्ण पाल गुर्जर एवम सीमा त्रिखा विपुल गोयल को बुलाने पर अपनी भड़ास निकाल रहे है और 67 वर्षो से मनाए जा रहे दशहरा पर्व को राजनीती की भेंट चढ़ा रहे है।

क्या हाईकोर्ट से ऊपर हैं रानीतिज्ञ
सिद्धपीठ हनुमान मन्दिर के पदाधिकारी ने बताया कि एनआईटी दशहरे को मनाए जाने का अधिकार 67 वर्षो से मन्दिर को है। लेकिन पिछले वर्ष मन्दिर में बीजेपी के राजनीतिक हस्तक्षेप से भगवान महावीर के मन्दिर की दुर्दशा बीजेपी की राजनीतिक देन है। लेकिन हाईकोर्ट में विचाराधीन मन्दिर के मामले पर फैसला सुनाते हुए पिछले दिनों मन्दिर की बागडोर प्रधान राजेश भाटिया के हाथों में सौंप दी गई थी। मन्दिर की व्यवस्था प्रशासन के हाथो से लेकर फिर से राजेश भाटिया ने शुरू कर दी थी। इससे नाराज दूसरे पक्ष और क्षेत्र की विधायक सीमा त्रिखा ने प्रशासनिक बल का प्रयोग करते हुए दशहरे में रावण का पुतला लगाने से मना कर दिया। जिसमें सरेआम माननी न्यायालय की अवमानना है।

रावण दहन से बाहर आई भाजपा की गुटबाजी
दशहरा मैदान में रावण दहन को लेकर चल रहे विवाद से भाजपा की गुटबाजी बाहर निकलकर आ गई है जिसमें एक धड़ा कृष्णपाल गुर्जर और सीमा त्रिखा का है तो दूसरा धड़ा कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल का है। एनआईटी सिद्धपीठ हनुमान मन्दिर के लंका दहन कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल को आमंत्रित किया गया। लेकिन जहां दशहरा होना है, उस क्षेत्र की विधायक सीमा त्रिखा को कार्यक्रम में बुलाना तो दूर होर्डिंग में फोटो तक नही लगाए गए।

इस से नाराज बडख़ल विधानसभा की सीपीएस सीमा त्रिखा ने केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर को साथ लेकर राजेश भाटिया का दशहरा खराब करने की रणनीति तैयार कर ली। पूर्व विधायक चन्दर भाटिया राजनीतिक रूप से पिछले लोकसभा चुनाव में के.पी.गुर्जर के सामने खड़े थे, राजनीति प्रतिद्वंदता के कारण केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और सीमा त्रिखा नही चाहते कि विपुल गोयल का ओल्ड फरीदाबाद के अलावा राजनीतिक विस्तार हो।

आखिर कौन हैं राजेश भाटिया
मन्दिर के प्रधान राजेश भाटिया भाजपा में विधायक रहे चन्दर भाटिया के छोटे भाई हैं। जो कई सालों से श्रीसनातन धर्म सिद्धपीठ हनुमान मन्दिर की गतिविधयों में शामिल होते आ रहे है। राजेश भाटिया पूर्व विधायक कुन्दन लाल भाटिया के पुत्र भी है। राजनीतिक परिवार होने के नाते राजेश भाटिया सामाजिक गतिविधियों में कुछ ही वर्षो से शामिल हुए है इससे पहले राजेश भाटिया फाईनेंशर के रूप में प्रसिद्ध थे।