November 15, 2024

फ्लाइंग छापेमारी में सामने आया RTA का बड़ा घालमेल, लपेटे में आ सकते है अधिकारी

Faridabad/Alive News : क्षेत्रीय यातायात प्राधिकरण (आरटीए) में बड़े स्तर पर घालमेल चल रहा है। वाहनों की पासिंग कराने के लिए दलाल सक्रिय हैं। दलालों की ओर से आई फाइलें धड़ल्ले से पास कर दी जाती हैं वहीं सीधे आई फाइलें धूल खाती रही हैं। सीएम फ्लाइंग दस्ते ने बुधवार को आरटीए में छापेमारी कर एक दलाल को रंगे हाथ पकड़ा। उसकी पहचान पलवल निवासी सौरभ के रूप में हुई। उससे ही आरटीए में चल रहे घालमेल का पर्दाफाश हुआ है। सीएम फ्लाइंग ने आरटीए कार्यालय में से कुछ संदिग्ध फाइलों की फोटोकॉपी कब्जे में ली हैं। सीएम फ्लाइंग के डीएसपी दिनेश यादव का कहना है कि आरोपी के खिलाफ सिटी बल्लभगढ़ थाने में भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया गया है, वहीं कब्जे में ली गई फाइलों की जांच चल रही है।

डीएसपी दिनेश यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के दिशा निर्देश पर बुधवार को छापेमारी हुई। दिनेश भारद्वाज नाम के व्यक्ति ने वाहन की पासिंग के लिए दलाल द्वारा रुपये मांगे जाने की शिकायत दी थी। शिकायत के बाद सीएम फ्लाइंग ने जाल बिछाया और आरोपी को सेक्टर-65 में वाहनों की पासिंग के दौरान रुपये लेते रंगे हाथ पकड़ लिया। इसके बाद सीएम फ्लाइंग दस्ते ने सेक्टर-12 लघु सचिवालय स्थित आरटीए कार्यालय में करीब एक घंटे तक दस्तावेज और पासिंग के लिए आई फाइलों की छानबीन की। उसमें दस्ते को कुछ फाइलें संदिग्ध लगीं। उनकी फोटो कॉपी कराकर कब्जे में लिया गया। सूत्रों का कहना है कि सौरभ इस सारे खेल की छोटी मछली है। वह किसी रिंकू बजाज नाम के दलाल के लिए काम करता है। उसके कई एजेंट सक्रिय हैं। रिंकू बजाज तक अभी पुलिस के हाथ नहीं पहुंच पाए हैं।

हर दलाल का कोड वर्ड : सीएम फ्लाइंग दस्ते की छानबीन में कुछ ऐसी फाइलें आई हैं जिन पर खास तरह के नंबर अंकित थे। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये नंबर दलालों के कोड वर्ड हैं। दलाल के माध्यम से आने वाली फाइल पर उस दलाल का नंबर अंकित कर दिया जाता है। इससे पहचान हो सके कि वह फाइल किसके माध्यम से आई है और उसकी कितनी फाइलें आ चुकी हैं। ये नंबर सभी फाइलों पर नहीं पाए गए, बल्कि कुछ फाइलों पर ही अंकित मिले। हालांकि आरटीए कार्यालय के कर्मचारियों ने कहा है कि ये नंबर उन्होंने अपने कामकाज को सुगम बनाने के लिए अंकित किए हैं। सीएम फ्लाइंग ने बताया कि जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि फाइलों पर वह नंबर किस लिए डाले गए थे।

एक फाइल पर वसूले जाते थे हजारों रुपये : ट्रांसपोर्टरों को अपने वाहनों की हर साल पासिंग करानी होती है। यह पासिंग आरटीए कार्यालय से होती है। इसमें आरटीए कार्यालय के कर्मचारी वाहन की जांच करते हैं और पासिंग करते हैं। पासिंग का अर्थ है कि वाहन की बॉडी, लाइट्स, रंगरोगन ठीक हैं, वाहन धुआं कितना छोड़ता है, क्या उससे पर्यावरण को नुकसान तो नहीं होता आदि। एक फाइल पर पासिंग की एवज में एक हजार से पांच हजार रुपये तक वसूले जाते थे। इस घालमेल के सामने आने से यह आशंका प्रबल हो गई है कि कुछ अनफिट वाहनों को भी फिट करार दे दिया जाता होगा।