Faridabad/Alive News : राजा बल्लू की नगरी, शहीद राजा नाहर सिंह के वंशज बलिदानी वीर देशप्रेमी बलराम राजा के नाम पर उनकी नगरी। शहर का नाम बलरामगढ़ किया जाना बिल्कुल सही और न्यायोचित कदम है। जिन शहीदों ने अपना सर्वस्व देश की रक्षा में न्यौछावर कर दिया, उनके नाम पर उस जगह का नाम रखा जाना गर्व का विषय है। जहां पर वें रहे और जन्में थे। ऐसा किया जाना उन शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजली है और युवा पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शन हैं।
सज्जनों को सम्मान व दुर्जनों को दुत्कार मिलने से ही सही समाज का निर्माण होता है। ये विचार सतीश फौगाट निदेशक फौगाट स्कूल सैक्टर-57 व पूर्व सदस्य, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड फरीदाबाद ने स्कूल में आयोजित प्रात:कालीन सभी व सादे समारोह में व्यक्त किए। इतिहास की जानकारी शहरों के नामकरण, शहीदों के शिलालेख, वर्णन पट्ट, संग्रहालय में रखी अतीत से जुडी चीजों से होती है।
बलरामगढ़ नाम बल्लभगढ़ का किया जाना बहुत ही प्रशंसनीय व ऐतिहासिक है। आज की वर्तमान पीढ़ी अभिनेता, अभिनेत्रियों के नामों से तो अच्छी तरह से वाकिफ है, लेकिन अपने वीर बलिदानी शहीदों के जीवन परिचय व कारनामों से बहुत दूर है। सांस्कृतिक विरासत को सुदृढ़ करना, गुमनाम हस्तियों को उजागर कर जनमानस के सम्मुख रखना बहुत ही सराहनीय कदम है। कुछ एक राजनीतिक विरोधी मस्तिष्क के लोग आलोचनावश बल्लभगढ़ के नाम परिवर्तन का विरोध कर रहे है और कह रहे है कि नाम बदलने की बजाय शहर का विकास करना चाहिए। जबकि शहर का नाम किसी महत्वपूर्ण हस्ती के नाम पर किया जाना भी मानसिक व बौद्धिक विकास की ओर एक सकारात्मक कदम है। सही कार्य किसी के भी द्वारा किया जाए काबिले प्रशंसा है।
सच्चे देशप्रेमी लोग देशहित की हर बात का समर्थन करते है और अच्छे कार्य कर रहे लोगों की प्रशंसा करे उनकी हौसला अफजाई करते है, ताकि एक सभ्य समाज का निर्माण हो सके। इस मौके पर स्कूल स्टॉफ व मैनेजमेंट चौ. रणवीर सिंह, प्रधानाचार्या निकेता सिंह, गोविन्द, ज्योति, हिमानी, रीतू, दीपशिखा, राधिका, सुमन चौपड़ा, नेहा शुक्ला, गीता, पूनम श्रीवास्तव, कुणाल राजपूत, उषा सिंह, विकास सोलंकी, कमलेश, अनुराधा, अर्चना, कामना आदि मौजूद थे।