November 16, 2024

पोस्ट कोविड रोगियों को स्वस्थ करने में कारगर है आयुर्वेदिक रसायन चिकित्सा

Palwal/Alive News: सिविल सर्जन डॉ. ब्रह्मदीप ने बताया कि कोरोना संक्रमण से ठीक हुए रोगियों के शरीर को पुन: मजबूत बनाने, कमजोरी, थकावट, नीद न आना आदि परेशानियों को दूर करने में आयुर्वेदिक रसायन चिकित्सा कारगर है। आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी डॉ. मोहम्मद इरफान ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया है कि आयुर्वेदिक रसायन चिकित्सा न केवल व्याधि को दूर करती है साथ ही शरीर का रिजूवनेशन भी करती है।

आयुर्वेदीय मतानुसार हमारा शरीर रस, रक्त, मांस, मंद, अस्थि, मज्जा, शुक्र सप्त धातुओं से मिलकर बना होता है और इन सबके सार से ही ओज का निर्माण होता है जो शरीर को मजबूत बनाता है। व्याधि से लड़ने में सहायता करता है ओज ही शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है। उन्होंने बताया कि जिससे कोई व्याधि शरीर में उत्पन्न न हो और यदि किसी कारण से शरीर में व्याधि उत्पन्न हो गई है तो उससे लड़ने की ताकत देता है जिससे व्याधि का असर शरीर में उत्पन्न न हो अथवा असर को कम किया जा सके।

जब शरीर किसी संक्रमण से ग्रस्त हो जाता है तो शरीर में इन सप्त धातुएं क्षीण होने लगती है और ओज का नाश होने लगता है जिससे शरीर में अत्यधिक कमजोरी, थकावट, बेचैनी, नीद न आना, काम में मन न लगना, चिड़चिड़ाहट, बार-बार संक्रमित होना आदि लक्षण उत्पन्न होने लगते है इन परेशानियों को आयुर्वेद शास्त्रोक्त रसायन औषधियों जैसे च्यवनप्राश, आमलकी रसायन, अगस्त्यहरीतकी, त्रिफला रसायन के निरंतर सेवन से दूर किया जा सकता है । यह रसोषधियां शरीर में सप्त धातुओं का निर्माण करती है और ओज की वृद्धि करती है जिससे शरीर पुन: स्वस्थ हो जाता है एवम ओज निर्माण से शरीर को किसी भी बीमारी के पुन: संक्रमण से बचाने से बचाने में सहायता मिलती है।

उन्होंने बताया कि च्यवनप्राश में मुख्य घटक आंवला होता है जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी होती है जो संक्रमण से लडऩे, शरीर के ऊतकों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देती है इसी प्रकार इसमें मिली हुई अन्य औषधि एवम भस्में शरीर की सप्त धातुओं की पुष्टि कर शरीर को पुनर्जीवित करती हैं फेंफड़ों को ताकत देती हैं इसीलिए संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति जिन्हे मधुमेह की बीमारी ना हो च्यवनप्राश का नित्य दिन में सुबह शाम दो बार सेवन करें और ऊपर से गुनगुना गोदुग्ध पिएं।

जुखाम, जीभ में स्वाद महसूस न होने वाले व्यक्ति अगस्त्यहरीतकी का सेवन करें, नेत्र संबंधी रोगों में आमलकी रसायन का प्रयोग,मधुमेह से ग्रस्त रोगी निरंतर आंवला चूर्ण का सेवन गुनगुने पानी से करें। मेदस्वी व्यक्ति जिनके रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक है ऐसे रोगी त्रिफला रसायन का सेवन करें त्रिफला शरीर के मेटाबॉलिज्म को नॉर्मल करता है बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को रक्त में नॉर्मल करता है ,लीवर को ताकत देता है।

उन्होंने बताया कि उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति अथवा हृदय रोगी प्रतिदिन अर्जुन छाल का सेवन क्षीरपाक विधि से करें। हांथ पैरों में कमजोरी ,थकावट, शरीर में ताकत न होने वाले व्यक्ति बलादी रसायन, अश्वगंधा से बने रसायन का सेवन करें, जिनको नीद न आती हो, मन बेचैन रहता है, चिड़चिड़ाहट होती है, ऐसे रोगी ब्रह्मा रसायन, मेध्य रसायन का सेवन करें। उदर रोगों में ,तिल्ली रोगों में पीपली वर्धमान रसायन सेवन, मूत्रगत रोगों में शिलाजीत का सेवन करें ।

आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी ने कहा है की रसायन औषधियों का सेवन से लाभ तभी होता है जब रोगी की खाना पचाने की शक्ति(अग्निबल) नॉर्मल हो।अन्यथा रसायन सेवन से लाभ नहीं होगा। रसायन चिकित्सा प्रारंभ करने से कुछ दिन पूर्व हरड़ आदि चूर्ण का सेवन करना चाहिए ,हरड़ उदर की शुद्धि के साथ साथ जठराग्नि को भी प्रदीपता करती है जिससे रसायन सेवन में लाभ मिलता है। रसायन चिकित्सा किसी आयुष चिकित्सक की देखरेख में ही लेने से पूर्ण लाभ होगा। इसी प्रकार सुबह खाली पेट पानी पीना भी रसायन के समान गुणकारी बताया है।

रसायन चिकित्सा शरीर के मेटाबॉलिज्म को नॉर्मलाइज करती है नई कोशिकाओं का निर्माण करती हैं जिससे शरीर रिजूवनेट होता है वृद्ध, सहरुग्नुता व्यक्ति भी यदि निरंतर रसायन औषधियों का सेवन करेगा तो शरीर मजबूत रहेगा,और बीमारियों के संक्रमण से बचा रहेगा, दीर्घायु की प्राप्ति होती है। अधिक समय से स्टीरॉयड औषधि के सेवन से उत्पन्न दुष्प्रभावों को दूर करने में भी रसायन औषधियों सहायक है।