Faridabad/Alive News: जूनियर रेड क्रॉस और सैंट जॉन एम्बुलैंस ब्रिगेड ने डिजास्टर मैनेजमेंट विषय पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। बच्चों को संबोधित करते हुए जे आर सी व एस जे ए बी अधिकारी प्राचार्य रविन्दर कुमार मनचन्दा ने कहा कि जब प्रकृति में असंतुलन की स्थिति होती है तब आपदाएं आती हैं जिसके कारण विकास एवं प्रगति बाधक होती है। प्राकृतिक आपदाओं के अतिरिक्त कुछ विपत्तियाँ मानवजनित भी होती हैं।
प्राकृतिक आपदाएं जैसे- भूकम्प, सुनामी, भूस्खलन, ज्वालामुखी, सूखा, बाढ़, हिमखण्डों का पिघलना आदि हैं। धैर्य, विवेक, परस्पर सहयोग व प्रबंधन से ही इन आपदाओं से पार पाया जा सकता है। आपदा प्रबंधन दो प्रकार से किया जाता है आपदा से पूर्व एवं आपदा के पश्चात।आपदा पूर्व प्रबन्धन को जोखिम प्रबन्धन के नाम से भी जाना जाता है। आपदा के जोखिम भयंकरता व संवेदनशीलता के संगम से पैदा होते हैं जो मौसमी विविधता व समय के साथ बदलते रहते है। जोखिम प्रबन्धन के तीन अंग हैं। जोखिम की पहचान, जोखिम में कमी व जोखिम का स्थानान्तरण किसी भी आपदा के जोखिम को प्रबन्धित करने के लिये एक प्रभावकारी रणनीति की शुरूआत जोखिम की पहचान से ही होती है।
इसमें प्रकृति ज्ञान और बहुत सीमा तक उसमें जोखिम के बारे में सूचना शामिल होती है। इसमें विशेष स्थान के प्राकृतिक वातावरण के बारे में जानकारी के अलावा वहाँ आ सकने का पूर्व निर्धारण शामिल है। इस प्रकार एक उचित निर्णय लिया जा सकता है कि कहाँ व कितना निवेश करना है। एक ऐसी परियोजना को डिज़ाइन करने में मदद मिल सकती है। इसी प्रकार से पूर्व आपदा प्रबंधन तंत्र तैयार करना होता है युवाओं और सामान्य नागरिकों को भी आपदाओं के बारे में जागरूक किया जाता है। उसी प्रकार से आपदा पश्चात अर्थात पोस्ट डिजास्टर मैनेजमेंट की भी पूर्व से तैयारी करनी पड़ती है राहत और बचाव के लिए कर्मचारियों और स्वयंसेवकों की टीम को प्रशिक्षण, प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण और आपात स्थिति में चिकित्सालयों और घायलों और पीड़ितों को ठहराने की व्यवस्था आदि का प्रबंध भी करना होता है।
इस अवसर पर जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड सदस्यों ने छद्म अभ्यास द्वारा आपदाओं के उचित प्रबंधन का संदेश दिया। इस अवसर पर प्राचार्य रविन्दर कुमार मनचन्दा, अध्यापिका शालिनी, सुनीता डी पी और राहुल रोहिल्ला ने भी सभी से आपदा प्रबंधन की जानकारी सांझी करने की जरूरत पर बल दिया।