November 16, 2024

सावधान ! मोबाईल व टीवी से चिपके रहने के कारण ऑटिज्म बीमारी का शिकार हो रहे हैं बच्चे

Faridabad/Alive News: ऑटिज्म बच्चों और युवाओं को मानसिक रूप से कमजोर बना रहा है। 1 से 18 साल के बच्चे और युवा इस बीमारी से अधिक ग्रस्त हैं। ऑटिज्म से पीड़ित कुछ बच्चें दूसरे व्यक्ति से मिलने और बात करने मे डरते हैं। वह अकेले रहना पसंद करते है। जबकि अन्य मरीज मेल मिलाप में सक्षम होते है पर उन्हें काम करने के लिए किसी दूसरे की मदद लेनी पड़ती है। इसका असर बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। डॉक्टरों की माने तो पहले ऑटिज्म के साल में एक दो मामले सामने आते थे। लेकिन अब ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

मरीजों में मिलते है अलग अलग लक्षण
बातचीत के दौरान बीके अस्पताल की साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर वंदना ने बताया कि वर्ष 2023 में ऑटिज्‍म के लगभग 23 मरीजों की पहचान हुई थी। ऑटिज़्म से पीड़ित लोग भी एक-दूसरे से अलग होते हैं। अलग-अलग मरीजों को अलग-अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं। ऑटिज्म से पीड़ित कुछ मरीज जब मोबाइल या टीवी देखते हैं तो वह फोन में चल रहे गाने को सुनकर रिएक्ट करते हैं। यहां तक की कार्टून की आवाज तक निकालते हैं। लेकिन जब माता-पिता या अन्य कोई व्यक्ति कुछ बोलता है तो वह सुनते नहीं है और न ही कोई रिएक्ट करते है। ऐसे पेशेंट नई जगह असहज महसूस करते है और गुस्सा ज्यादा करते है। जबकि कई मामलों में देखा गया है कि इससे पीड़ित लोग नौकरी करने, परिवार और दोस्तों के साथ मेल-मिलाप करने में सक्षम होते हैं, लेकिन कई बार उन्हें इसके लिए दूसरों की मदद लेनी पड़ती है। जहां कुछ लोगों को पढ़ने-लिखने में परेशानी होती है तो वहीं ऑटिज्‍म के कुछ मरीज या तो पढ़ने लिखने में बहुत तेज होते हैं या सामान्‍य होते हैं।

क्या कहना है लोगों का
भारत कॉलोनी निवासी सरोज ने बताया कि उनका बेटा बोलने पर सुनता नहीं है। लेकिन पढ़ने और लिखने में बिल्कुल ठीक है। लेकिन वह अन्य बच्चों के साथ खेलने और बात करने में डरता है। डॉक्टर से दिखाया तो पता चला कि इसको ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर है। अभी बीके अस्पताल में इसकी काउंसलिंग चल रही है।

वहीं, सेक्टर -23 निवासी महेंद्र कुमार ने बताया कि उनका बेटा दूसरी कक्षा में पढ़ता है। वह फोन और टीवी में कार्टून देखते वक्त आवाज सुनकर रिएक्ट करता है। लेकिन माता पिता और दोस्तो के बोलने पर सुनता नहीं है और न ही रिएक्ट करता है।

वर्चुअल ऑटिज्म के हैं सबसे अधिक मामले
वर्चुअल ऑटिज्म के सबसे अधिक 4 से 5 साल के बच्चें पीड़ित है। यह बच्चों द्वारा ज्यादा मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रोनिक गैजेट की लत की वजह से ऐसा होता है। स्मार्टफोन, टीवी और लैपटॉप पर अधिक समय बीतने वाले बच्चें दूसरो से बात नहीं कर पाते और बोलने में हकलाते है। इसके अलावा ज्यादा गुस्सा करते है। इसे वर्चुअल ऑटिज्म कहा जाता है।