November 17, 2024

Asian Hospital के डॉक्टरों ने 8 माह के बच्चे के दिमाग से निकाला ट्यूमर

Faridabad/Alive News : एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ  मेडिकल साइंसेज अस्पताल के डॉक्टरों ने आठ महीने के बच्चे के दिमाग से बड़े आकार का ट्यूमर निकाला। पांच सदस्यों की टीम ने बच्चे को पैदायशी बीमारी से निजात दिलाई।
गाजियाबाद निवासी विजय पाल सिंह के घर 17 मार्च 2016  को एक बेटे ने जन्म लिया। जन्म के समय बच्चा हृष्ट-पुष्ट था, लेकिन उसका सिर सामान्य सें बड़ा था, परिजनों और पड़ोसियों ने कहा कि कुछ बच्चों को सिर बड़ा होता है और बच्चे को भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं थी। इसके चलते हर्ष के अभिभावकों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। 15  नवंबर 2016  को हर्ष को उल्टी और दस्त हुए। विजयपाल सिंह और उनकी पत्नी अपने बच्चे को लेकर गाजियाबाद के कई अस्पतालों में गए। बच्चे को आराम नहीं आया। बच्चे की हालत देखते हुए बच्चे का सीटी स्कैन कराया गया। सीटी स्कैन की रिपोर्ट देखते ही डॉक्टर ने बच्चे को किसी बड़े  अस्पताल के न्यूरो सर्जन को दिखाने का सुझाव दिया। परिजन हर्ष के फरीदाबाद के सेक्टर-21 ए स्थित एशियन अस्पताल लेकर आए।
एशियन अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. कमल वर्मा ने जांच की रिपोर्ट देखी। रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाली थी। बच्चे को दिमाग में गोभी के फूल के आकार का ट्यूमर था। जिसके कारण दिमाग के अंदर मौजूद पानी को निकलने की जगह न मिल पाने के कारण पानी दिमाग में जमा होता जा रहा था और दिमाग का आकार बढ़ता जा रहा था, इसका प्रतिकूल प्रभाव हर्ष की आंखों पर पड़ रहा था।
डॉ. कमल वर्मा का कहना है कि सभी ट्यूमर में से इस प्रकार का ट्यूमर एक प्रतिशत ही होता है जो पैदायशी बच्चों में होता  है। इस प्रकार की सर्जरी में बहुत ही संवेदनशील होती है। बच्चा इतना छोटा है कि इसमे खून का बहाव भी कम रखना होता है। बच्चे के पूरे शरीर में कुल 800मि.ली. खून होता है, अगर खून ज्यादा बहता है तो बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। पांच घंटे की इस सर्जरी में इस बात का खास ख्याल रखा गया कि बच्चे का ब्लड लॉस न हो। और इस सर्जरी बच्चे के सिर को गोलाई में दो सेंटीमीटर तक कट लगाकर सर्जरी की गई है। पांच सदस्यों की टीम में न्यूरो सर्जन डॉ. कमल वर्मा, डॉ. मुकेश पांडे, एनेस्थीटिक डॉ. दिवेश अरोड़ा व अन्य ने बच्चे के दिमाग से ट्यूमर निकाला।
एशियन अस्पताल के एनेस्थीटिक डॉ. दिवेश अरोड़ा का कहना है इतने छोटे बच्चे को बेहोश करने के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है। बच्चों के मामले बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ऑपरेशन करने के लिए सिर को भी इस स्थिति में रखा जाता है कि खून का अधिक बहाव न हो। ट्यूमर निकालने के बाद न केवल बच्चे के सिर का आकार अपने वास्तविक आकार में आ रहा है बल्कि बच्चे की आंखों की रोशनी में भी दिनोंदिन इजाफा हो रहा है।