News Delhi/Alive News: केंद्र सरकार ने संसद शीतकालीन सत्र में बड़े आर्थिक सुधारों को टालने और छोटे सुधारों की ओर कदम बढ़ाने का फैसला किया है। आज से शुरू हो रहे शीत सत्र में सरकार ने अंतरराज्यीय सहकारी समिति संशोधन, ट्रेड मार्क संशोधन, मध्यस्थता संशोधन और राष्ट्रीय दंत आयोग बिल समेत 16 विधेयकों को संसद की मंजूरी दिलाने की तैयारी की है। ये सभी ऐसे विधेयक हैं जो सरकार के लिए बहुत अधिक महत्व के नहीं हैं। वहीं इस सत्र में बैंकिंग संशोधन, इंश्योरेंस संशोधन और डाटा सुरक्षा बिल पेश किए जाने की फिलहाल कोई संभावना नहीं दिख रही है।
सरकार आर्थिक क्षेत्र में सुधार की प्रक्रिया धीमी नहीं होने देना चाहती। इसी के मद्देनजर सरकार तीन अहम बिल पेश करने की तैयारी में है। इनमें अंतर्राज्यीय सहकारी समिति संशोधन बिल के जरिए सरकार सहकारिता के क्षेत्र में पुराने कानूनों को खत्म कर इस क्षेत्र में व्यापक सुधार लाना चाहती है।
दरअसल, मसौदा तैयार न होने और विमर्श की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के अलावा बेहतर तैयारी के अभाव के कारण सरकार ने अहम बिल को बजट सत्र में पेश करने का मन बनाया है। सरकार के एक मंत्री के मुताबिक बैंकिंग क्षेत्र में तेजी से निजीकरण और डेटा सुरक्षा के साथ ही इंश्योरेंस संशोधन बिल बेहद अहम है। इसके दूरगामी प्रभाव होंगे। ऐसे में सरकार इन तीनों ही बिलों को पेश करने से पहले सभी पहलुओं का विस्तृत जांच परख करना चाहती है। इनमें बैंकिंग संशोधन बिल का अब तक ड्राफ्ट तैयार नहीं हो पाया है, जबकि डेटा सुरक्षा बिल पर विमर्श अंतिम चरण में है।
ये बिल है अहम
सरकार जिन 16 विधेयकों को पेश और पारित कराना चाहती है। उनमें राष्ट्रीय दंत आयोग बिल, नेशनल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी कमीशन बिल, छावनियों के प्रशासन से जुड़ा कैंटोनमेंट बिल, वन संरक्षण और जैव विविधता बिल अहम हैं।
संसद के शीत सत्र में विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी, चीन-भारत सीमा विवाद, गरीब सवर्णों को आरक्षण जैसे मुद्दों पर अपने तीखे तेवर दिखाएगा। शीत सत्र से पहले इसका विधायी एजेंडा तय करने के लिए केंद्र सरकार की पहल पर मंगलवार को दिल्ली में आयोजित सर्वदलीय बैठक में 30 से अधिक पार्टियों के नेता शामिल हुए। बैठक के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, देश के सामने कई मुद्दे हैं। बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार को लोगों को जवाब देना होगा।