Lucknow/Alive News: यूपी में सुरेश मांझी को भिखारी गैंग के हाथों बेचे जाने का मामला सामने आने के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। क्योंकि पिछले सात साल में शहर से लापता हुए बच्चों (18 साल से कम उम्र के) में से 102 का आज तक कोई सुराग नहीं लगा। पुलिस ने केस दर्ज किया, लेकिन उनको तलाश नहीं कर सकी। यह खुलासा स्पेशल जूविनाइल पुलिस यूनिट के आंकड़ों से हुआ है।
मिली जानकारी के अनुसार इस साल 102 लापता बच्चों में 59 लड़कियां और 43 लड़के हैं। इस साल अब तक (जनवरी से अक्तूबर) शहर में 179 बच्चों की गुमशुदगी दर्ज की गई। 46 बच्चे खुद लौट आए है। जबकि 111 बच्चों की पुलिस ने तलाश की, जबकि 22 बच्चे अभी भी लापता हैं। इसमें 12 लड़कियां और 10 लड़के हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में 112 बच्चे लापता हुए। इनकी गुमशुदगी दर्ज की गई। इसमें से 100 बच्चे वापस आ गए, जबकि 12 बच्चे आज भी लापता हैं। वर्ष 2017 में 84 में 78 लौटे जबकि छह अभी भी लापता हैं। 2018 में लापता हुए 131 में बच्चों में 13 लापता हैं।
2019 में 160 बच्चे लापता हुए, जिनमें से 20 का सुराग नहीं लगा। 2020 में 80 में 21 व 2021 में 152 में 13 बच्चे लापता हैं। इस साल अब तक 22 बच्चों का सुराग नहीं लगा है। औसतन 14 बच्चे हर साल लापता हो रहे हैं, लेकिन उनका कोई पता नहीं चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक जो बच्चे आज तक नहीं मिले हैं, उनकी फाइल बंद नहीं हुई। जांच जारी है। अगर जरूरत पड़ी, तो टीम गठित कर लापता बच्चों की तलाश करने की कोशिश की जाएगी। कुछ महीने पहले कमिश्नरी में भिखारियों के खिलाफ अभियान चलाया गया था। शासन के निर्देश के बाद जिले में एक एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल का थाना भी है। थाने में बीते छह महीने से कोई शिकायत नहीं आई है, जो जगह सुरेश मांझी ने बताई है, वहां पुलिस की तलाश जारी है।