लखनऊ : कभी रेप का शिकार होने से बची ऊषा विश्वकर्मा आज राजधानी की लड़कियों को सेल्फ डिफेंस सिखाने में जुटी हैं। जब ऊषा के साथ रेप की कोशिश हुई, तब वो महज 18 साल की थीं। उस घटना से सबक लेते हुए उन्होंने रेड ब्रिगेड नाम की संस्था खड़ी की, जो आज पूरे यूपी के लिए मिसाल कायम कर रही है। साथी टीचर करना चाहता था ऊषा का बलात्कार, ये है उनकी स्टोरी…
– यह घटना साल 2005 की है।
– 18 साल की ऊषा एक संस्था में टीचर की जॉब करती थीं।
– ऊषा ने बताया उस साल उस इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाली एक स्टूडेंट के साथ रेप की घटना हुई।
– घटना को कुछ ही वक्त बीता था कि उनके साथी टीचर ने उनके साथ भी रेप करने की कोशिश की।
– ऊषा बताती हैं कि वो उस साथी टीचर पर काफी भरोसा करती थीं, लेकिन उसने इसी बात का फायदा उठाया।
– जैसे-तैसे ऊषा ने खुद को उस वहशी टीचर के चुंगल से छुड़ाया और अपनी इज्जत बचा ली।
तब चुप रह गईं ऊषा
– उस घटना ने ऊषा को अंदर से तोड़ दिया था।
– उन्होंने इस बारे में अपने किसी फैमिली मेंबर को नहीं बताया।
– ऊषा को डर था कि अगर घर में बताया तो उनके बाहर निकलने पर रोक लग जाएगी।
– उन्होंने इस बात की शिकायत अपने इंस्टीट्यूट में जरूर की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
– ऐसे अन्याय की वजह से ऊषा अंदर ही अंदर घुटने लगीं और डिप्रेशन में चली गईं।
बर्बाद हो गया पूरा एक साल
– ऊषा बताती हैं, “घटना की वजह से मैं डिप्रेशन में चली गई थी। उससे निकलने में मुझे एक साल लग गया।”
– वाराणसी के अजय पटेल से हुई मुलाकात ने उनकी लाइफ बदल दी।
– पटेल ने ऊषा को अन्याय और यौन हिंसा के खिलाफ लड़ने का हौसला दिया।
फिर हुई रेड ब्रिगेड की शुरुआत
– अब ऊषा के अंदर एक नया हौसला था।
– ऊषा ने बताया, “2010 में मैं एक फीमेल ग्रुप के साथ काम कर रही थी। हमने जेंडर डिफ्रेंस पर एक वर्कशॉप ऑर्गेनाइज की थी। उस वर्कशॉप में चौंकाने वाले खुलासे हुए।”
– ऊषा के मुताबिक उस वर्कशॉप में 55 लड़कियों ने पार्टिसिपेट किया था, जिसमें से 53 लड़कियों ने अपने साथ हुए यौन शोषण के किस्से बताए।
– लड़कियों ने बताया कि उनके साथ घर के अंदर ही किसी फैमिली मेंबर द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया।
– वर्कशॉप में लड़कियों की आपबीती सुनने के बाद ऊषा ने रेड ब्रिगेड शुरू करने की ठानी।
– ऊषा और उसकी ग्रुप मेंबर्स ने वर्कशॉप में आई लड़कियों को बताया कि यदि वे घर पर ही सेफ नहीं हैं तो आगे कहां जाएंगी?
– ग्रुप ने लड़कियों के बीच सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग को प्रमोट करने के लिए नुक्कड़ नाटक और मंडली का सहारा लेने का फैसला किया।
वेश्या कहते थे लोग, लगे थे धंधा करवाने के आरोप
– ऊषा बताती हैं, “जब हमने रेड ब्रिगेड बनाने का फैसला किया तो सबसे पहले हमें घर से ही विरोध झेलना पड़ा। लेकिन हम जिद्दी थे।”
– “लोग मुझे वेश्या कहते थे। कहते थे कि मैं लड़कियों से धंधा करवाती हूं,” ऊषा ने भावुक होते हुए बताया।
ऐसे बना रेड ब्रिगेड का खौफ
– ऊषा ने बताया, “शुरुआत में हमारा 15 लड़कियों का ग्रुप था। हम घर-घर जाकर लड़कियों को जागरुक करते हैं। साथ ही छेड़खानी करने वाले लड़कों के घर पर जाकर उनकी शिकायत करते भी थे।”
– “हमारे ग्रुप की ही एक लड़की पर एक मनचला फब्तियां कसता था। कुछ दिन तक यही चलता रहा। रोज की तरह वो मेरी साथी को छेड़ रहा था। हमने सरेआम उसकी पिटाई करना शुरू कर दी।”
– “उस पिटाई के बाद हमारे ग्रुप का खौफ फैल गया। अब लड़के हमारे ग्रुप के बारे में सोचकर भी घबरा जाते हैं,” ऊषा ने बताया।
ऐसी है रेड ब्रिगेड की वर्किंग
– रेप जैसी घटना होने पर रेड ब्रिगेड विक्टिम के घर जाकर पहले काउसिंलिंग देती है।
– उस लड़की को इंसाफ दिलाने की कोशिश करती है।
– इसके अलावा रेड ब्रिगेड स्कूलों और इंस्टीट्यूट्स में लड़कियों व महिलाओं को सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाती है।
– ऊषा ने बताया कि उनके ग्रुप में 8000 मेंबर हैं।
– प्रेजेंट में रेड ब्रिगेड की दो ब्रांच काम कर रही हैं, एक बनारस और दूसरी लखनउ में।
– बनारस में करीब 35 लड़कियों का ग्रुप है जबकि लखनऊ में 60 का ।