November 19, 2024

मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ आज करेंगे सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति का अनावरण, करणी सेना दी चेतावनी

Lucknow/Alive News : सम्राट मिहिर भोज के मूर्ति के अनावरण को लेकर राजपूतों और गुर्जरों के बीच होने वाला विवाद गर्माता जा रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ द्वारा उनकी प्रतिमा का अनावरण करना कहीं ना कहीं राजपूतों और गुर्जरों के बीच होने वाला विवाद को और अधिक हवा दे सकता है। मिली जानकारी के मुताबिक एक तरफ मंगलवार को अखिल भारतीय गुर्जर महासभा ने प्रेसवार्ता का आयोजन किया। वहीं दूसरी तरफ करणी सेना के कार्यकर्ता घोड़ी गांव में पंचायत करने पहुंच गए। दोनों पक्षों ने अपने-अपने पक्ष में दावे किए और दूसरे के दावों को खारिज किया। 

जानकारी के अनुसार करणी सेना ने प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम का विरोध करने की चेतावनी दी है। इसके अलावा करणी सेना के कार्यकर्ता पुलिस को चकमा देकर घोड़ी गांव भी पहुंच गए। इस दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच नोकझोंक भी शुरू हो गई। करणी सेना की बैठक के कारण सुबह से ही पुलिस मौके पर पहुंच गई थी। घोड़ी गांव में करणी सेना के कार्यकर्त्ता बड़ी संख्या में प्राइमरी स्कूल के सभा स्थल पर पहुंचे तो पुलिस ने कार्यकर्ताओं को घुसने नहीं दिया। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने सड़क पर ही बैठकर नारेबाजी शुरू कर दी।

यहीं नहीं करणी सेना के कार्य कर्ताओं ने मुख्यमंत्री के दादरी आगमन का भी विरोध किया। यहीं नहीं करणी सेना ने प्रशासन को चेतावनी भी दी कि अगर प्रदेश अध्यक्ष करण ठाकुर को पुलिस ने नहीं छोड़ा तो राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में करणी सेना के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर जाएंगे।

बता दें, कि अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने स्वर्ण नगरी स्थित प्रेस क्लब में सम्राट मिहिर भोज के गुर्जर होने का दावा किया। दूसरी तरफ करणी सेना महाराज मिहिर भोज को क्षत्रिय होने का दावा कर रहे है।अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा का कहना है कि जिन राजाओं से मिहिर भोज की लड़ाई हुई थी। उन्होंने भी उनको गुर्जर शब्द से उल्लेखित किया है। दिल्ली, उत्तराखंड समेत दूसरे स्थानों पर मुख्यमंत्रियों ने जांच करके ही मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया है। अब मुख्यमंत्री योगी भी जानकारी के बाद ही दादरी में अनावरण करने आ रहे हैं।

हालांकि, कुछ लोग बिना जानकारी के विरोध कर रहे हैं। महापुरुष सभी के हैं। दादरी के मिहिर भोज कॉलेज की स्थापना 72 साल पहले हुई थी। उस दौरान विरोध करने वाले पैदा भी नहीं हुए थे। इतिहास का अध्ययन करने पर सही से जानकारी होगी। कुछ लोग राजनीतिक लाभ लेने के लिए विरोध कर रहे हैं।