Chandigarh/Alive News: हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा किसानों के हित में बनाई जा रही नीतियों की कांग्रेस भी कायल है। राज्य की कृषि नीतियों को जहां कांग्रेस नेता उदाहरण के तौर पर पेश कर रहे है। वहीं इन नीतियों को कांग्रेस अपने शासित राज्यों में अपना भी रही है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में किसानों की फसल खरीद व उसके भुगतान की पॉलिसी देश में सर्वश्रेष्ठ है और इस बात पर खुद कांग्रेस भी मुहर लगा रही है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के एक ट्वीट के सवाल के जवाब में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जिस पंजाब राज्य की कांग्रेस सरकार व उनके नेता किसानों के हितैषी बनकर किसान आंदोलन को आगे बढ़ा रहे थे। आज उनके नेताओं को भी यह समझ आ गया है कि हरियाणा सरकार अपनी नीतियों से राज्य के किसानों को कैसे आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है।
उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सबसे पहले किसान आंदोलन का समर्थन किया था और आज उनकी पार्टी के ही प्रदेश अध्यक्ष हरियाणा की कृषि नीतियों का जिक्र करते हुए उदाहरण पेश कर रहे है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यहीं नहीं हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों के खाते में समयबद्ध सीधा भुगतान करने व मंडियों के आधुनिकीकरण करने जैसे कदमों को आज पंजाब राज्य अपना रहा है।
उपमुख्यमंत्री ने किसानों को लेकर कांग्रेस की नीति व नीयत पर सवाल उठाए और कहा कि कांग्रेस की नीति किसान विरोधी है और नीयति केवल उनके वोट लेने की है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक एजेंडे के तहत कांग्रेस किसानों को भ्रमित कर रही थी, जिसे जनता और अब खुद कांग्रेस नेता भी उजागर कर रहे है। पेपर लीक के मामले पर जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इस पर तेजी से संज्ञान लेते हुए सख्त कानून बनाया है जो कि हरियाणा विधानसभा मानसून सत्र में लाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इससे यह दर्शाता है कि सरकार पेपर लीक मामले को लेकर कितनी ज्यादा गंभीर है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि ऐसे लोगों को रोकने के लिए सरकार ने नये कानून के जरिए सजा और लाखों रुपए के जुर्माने लगाने आदि का प्रावधान किया है ताकि ऐसे मामलों को सख्ती से निपटा जा सके। उन्होंने ये भी कहा कि पेपर लीक मामले में जहां जिसकी कमी सामने आएगी सरकार उस पर सख्त से सख्त कदम उठाएगी। वहीं पंचायत चुनाव के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेशों को सरकार अध्ययन करके आगे का फैसला लेगी।