May 19, 2024

शराब का ठेका बंद करवाने के लिए महिलाओं की पहल, राजस्थान के गांव में हुआ अनोखा मतदान

जयपुर : राजस्थान के एक गांव काछबली ने इस मुद्दे पर मतदान किया कि क्या उनके गांव में शराब का ठेका बंद होना चाहिए या नहीं। शुरुआत करीब दो महीने पहले हुई जब 26 जनवरी को महिलाओं ने प्रस्ताव रखा कि वो गांव में नशा मुक्ति चाहती हैं। प्रस्ताव रखने वाली सीता देवी ने कहा, “हमने ये मांग रखी कि दारू का ठेका बंद होना चाहिए। दारू से आदमी मर रहे हैं, औरतें विधवा हो रही हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं। औरतों के साथ मारपीट होती है। ये सभी जानते थे, लेकिन बोलता कोई नहीं था।”

सीता देवी का ये प्रस्ताव एक मुहिम के रूप में सामने आया। गांव की महिलाओं ने ये प्रस्ताव ग्राम सभा में पारित करवाया, फिर बात जिला कलेक्टर तक पहुंची। उन्होंने एसडीएम को भेजकर प्रस्ताव पर किए गए हस्ताक्षरों की जांच करवाई। इसके बाद आबकारी विभाग को सूचित किया गया और फिर उनकी अनुमति लेने के बाद जिला प्रशासन ने दारू का ठेका बंद होना चाहिए या नहीं इस पर मतदान करवाया। मतदान एसडीएम नरेंद्र कुमार जैन की निगरानी में हुआ।

पंचायत चुनाव की तर्ज पर यहां 9 पोलिंग बूथ लगाए गए और मतदान सुबह 8 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक चला। कुल 2886 मतदाताओं में से 2039 ने वोट डाले, जिनमें से 1937 ने दारू का ठेका बंद करवाने पर अपनी मुहर लगा दी। आबकारी विभाग के नियमों के अनुसार अगर 51% मतदाता दारू का ठेका बंद करवाने के लिए वोट डालते हैं, तभी इलाके से ठेका हटाया जा सकता है।

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एसडीएम नरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि यह गांव दारू और नशे से परेशान था। यहां दारू के कारण पिछले 5 सालों में 84 लोगों की मौतें हुई हैं। ज्यादातर लोग रोड एक्सीडेंट में मारे गए हैं।’ नशा मुक्ति के इस अभियान में गांव की महिलाओं और युवा पीढ़ी की अहम भूमिका रही है। इसमें शामिल एक महिला खीमी देवी ने बताया, “जब आदमी दारू की लत पाल लेता है तो परिवार चलाने की जिम्मेदारी महिला पर पड़ जाती है। वो किसी न किसी तरह से मजदूरी करती है, 100 रुपये लाती है, तो मर्द डांट-फटकार कर आधे पैसे ले लेता है…अगर चार बच्चे हैं, तो वो उनका पेट कैसे भरेगी?”एक अन्य महिला गट्टू देवी ने बताया कि 5 साल पहले ज्यादा शराब पीने से उनके पति की मौत हो गई। उसके इलाज में खर्च हुए 2 लाख रुपये गट्टू देवी अब तक मजदूरी करके चुका रही है। उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहते कि इस गांव में और महिलाएं शराब के कारण विधवा हो जाएं, इसलिए यहां दारू का ठेका तो बंद होना ही चाहिए।”

लेकिन इस मुहिम में शामिल विजय पाल सिंह जैसे युवा नेता समझते है कि दारू का ठेका बंद करने से समस्या का हल नहीं होगा। शराब की लत को अगर जड़ से मिटाना है तो समाज सुधार का भी बीड़ा उठाना पड़ेगा। चुनौतियां आगे काफी हैं, लेकिन शराब के खिलाफ मतदान करके काछबली गांव के लोगों ने लोकतंत्र में एक मिसाल जरूर कायम की है।