November 18, 2024

एसएलसी मामले में सरकार बार बार ले रही है यू टर्न

Faridabad/Alive News: हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि जैसी की उम्मीद थी शिक्षामंत्री ने पहले की तरह ही अपनी उस घोषणा जिसमें बिना टीसी के छात्रों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराने की बात की थी उसे वापिस ले लिया है। इस पर मंच ने कहा है कि शिक्षा मंत्री ने प्राइवेट स्कूल संचालकों के दबाव में ऐसा तीसरी बार किया है। ऐसा करके उन्होंने शिक्षा मंत्री पद की गरिमा को गिराया है।

मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत कोई भी प्राइवेट स्कूल बच्चों को दाखिला देने के लिए मना नहीं कर सकता है और इसके लिए एसएलसी की भी जरूरत नहीं होती है। सरकार इस कानून का सहारा न लेकर बिना किसी रणनीति के एसएलसी के मुद्दे को बार-बार उठा देती है और तुरंत अपने ही फैसले को बदल कर आम जनता में अपनी छवि खराब करती है।

मंच का कहना है कि प्राइवेट स्कूल संचालकों ने अभिभावकों से, उनके बच्चों का रिपोर्ट कार्ड रोकने, प्रमोट न करने व ऑनलाइन क्लास बंद करने का डर दिखा कर शिक्षा सत्र 2020-21 की ट्यूशन फीस वार्षिक शुल्क, ट्रांसपोर्ट फीस व अन्य फंडों के साथ मार्च 2021 तक की वसूल ली है। जो अभिभावक जागरूक हैं वे स्कूल द्वारा बढ़ाई गई ट्यूशन फीस व मांगे जा रहे अन्य फंडों का विरोध कर रहे हैं हालांकि उन्होंने बिना बढ़ाई गई ट्यूशन फीस जमा भी करा दी है।

अब आर्थिक कारणों से अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में न पढ़ा कर सरकारी स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं। ऐसे पेरेंट्स स्कूल प्रबंधक से टीसी मांग रहे हैं लेकिन स्कूल प्रबंधक उन्हें टीसी नहीं दे रहे हैं। इसको देने के लिए कई हजार रुपए मांग रहे हैं। मंच इसका विरोध करता है। मंच ने प्राइवेट स्कूल संचालकों से अपील की है कि जो अभिभावक आर्थिक कारणों से अपने बच्चों को आगे प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ाना चाहते हैं और सरकारी स्कूलों में अपने बच्चे का दाखिला कराना चाहते हैं तो वे मानवीय व सामाजिक आधार पर उनके बच्चों को एसएलसी (टीसी) दे दें।

मंच ने मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री से कहा है कि जिस तरह दिल्ली सरकार ने अपने सरकारी स्कूलों का कायापलट करके उन्हें हाईटेक व आधुनिक बनाया है उसी प्रकार हरियाणा सरकार भी पूरी इमानदारी से हरियाणा के सरकारी स्कूलों की दशा में गुणात्मक सुधार लाने, उनमें सभी आधुनिक संसाधन मुहैया कराने और जर्जर व कंडम हो चुकी स्कूल बिल्डिंग की जगह नई हाईटेक बिल्डिंग बनाने का प्रयास करे।

जैसा कि मंच ने पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय का सहारा लेकर सरकारी स्कूलों की दशा में सुधार कराने का प्रयास किया है।ऐसा होने पर एक तो अभिभावकों का रुझान अपने आप ही सरकारी स्कूलों की ओर हो जाएगा दूसरा प्राइवेट स्कूलों की मनमानी व उनके द्वारा किए जा रहे शिक्षा के व्यवसायीकरण पर काफी हद तक रोक लग जाएगी।