December 22, 2024

 पाकिस्तान की पहली सिख महिला पत्रकार का अनुभव

Alive News : “मेरे घरवालों ने कहा था कि तुम ग़लत रास्ते पर जा रही हो, बाहर जाना महिलाओं के लिए अच्छी बात नहीं है. लेकिन जब उन्होंने टीवी पर मेरी पहली रिपोर्ट देखी तो वो बहुत खुश हुए. उन्हें मुझपर गर्व महसूस हुआ.”

कहा जा रहा है कि पेशावर की रहने वालीं 24 साल की मनमीत कौर पाकिस्तान की पहली सिख महिला पत्रकार हैं.

मनमीत ने हाल ही में पाकिस्तान के एक न्यूज़ चैनल ‘हम न्यूज़’ के साथ काम करना शुरू किया है. वो वहां रिपोर्टर के तौर पर काम करती हैं.

क्या थीं चुनौतियां?

पेशावर यूनिवर्सिटी से सामाजिक विज्ञान में उच्च शिक्षा हासिल करने वालीं मनमीत का मीडिया में काम करने का ये पहला अनुभव है.
मनमीत के मुताबिक टीवी चैनल में काम करने के लिए उनके सामने दो तरह की चुनौतियां आईं.

उन्होंने बताया कि एक तो वो पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और साथ ही वो एक महिला भी हैं, जिनके लिए एक संस्थान में काम करना भी एक बड़ी चुनौती था.

मनमीत के मुताबिक उनके समुदाय में बहुत कम लोग शिक्षा हासिल कर पाते हैं और बहुत कम पुरुषों और महिलाओं को बाहर जाकर पढ़ने या काम करने दिया जाता है.लेकिन मनमीत कौर ने इन दोनों चुनौतियों का सामना करने का फ़ैसला किया.

वो बताती हैं कि ‘हम न्यूज़’ चैनल की लॉन्चिंग के वक्त उन्होंने नौकरी के लिए अप्लाई किया था. कुछ ही दिनों बाद उन्हें इंटरव्यू के लिए बुला लिया गया.
मनमीत बताती हैं कि जब उन्होंने रिपोर्टर के पद के लिए इंटरव्यू कॉल के बारे में अपने मां-बाप को बताया तो उन्हें नाराज़गी का सामना करना पड़ा.

वो कहती है कि उन्होंने अपने घरवालों को मनाने की बहुत कोशिश की. इस कोशिश में न्यूज़ चैनल के ब्यूरो चीफ़ और उनके मामाओं ने भी काफ़ी मदद की. आख़िर में उनके घर वाले मान गए.

वो बताती हैं रिपोर्टर के पद के लिए एक सिख लड़के ने भी अप्लाई किया था लेकिन इंटरव्यू में अच्छे प्रदर्शन के बाद मनमीत को चुन लिया गया.
इसके बाद मनमीत ने काम करना शुरू किया. जब उनकी पहली रिपोर्ट टीवी पर आई तो उसे देखकर उनके मां-बाप की खुशी का ठिकाना ना रहा. मनमीत के घरवाले आज अपनी बेटी के बारे में गर्व से दूसरों को बताते हैं.

जब मनमीत से पूछा कि वो मीडिया में क्या करना चाहती हैं तो उन्होंने कहा कि वो अपनी रिपोर्टिंग के ज़रिए अल्पसंख्यकों की समस्याओं को सबके सामने लाना चाहती हैं. वो कहती हैं कि वो अल्पसंख्यक समुदाय से आती हैं इसलिए वो उनकी परेशानियों को बेहतर तरीके से समझती हैं.

मनमीत कहती हैं कि जब उनके समुदाय के लोग उन्हें टीवी पर उनके मुद्दे उठाते हुए देखते हैं तो उनकी हौसला हफज़ाई होती है.मनमीत का मानना है कि आप चाहे अल्पसंख्यक समुदाय से हों ना हो, अगर आप एक टैलेंटेड महिला हैं तो आपको आगे आना चाहिए, कोई आपका रास्ता नहीं रोक सकता. वह कहती हैं कि महिलाओं को दूसरों पर निर्भर रहने के बजाए अपने पैरों पर खड़े होना चाहिए.

पाकिस्तान में कम हैं महिला पत्रकार
पाकिस्तानी मीडिया में पुरुषों के मुकाबले बहुत कम महिलाएं काम करती हैं. अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए जो कोटा दिया गया है उसे भी ठीक से लागू नहीं किया गया है.

इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स के एक सर्वेक्षण के अनुसार, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में सिर्फ़ 20 महिलाएं प्रेस क्लब या यूनियन की सदस्य हैं, जबकि पुरुषों की संख्या 380 है.

सर्वे के मुताबिक बलूचिस्तान में सिर्फ दो महिला पत्रकार हैं जबकि पुरुष पत्रकारों की संख्या 133 है. वहीं पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों में कोई महिला पत्रकार नहीं है.

इसी तरह, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के अधिकतर ज़िलों में महिला रिपोर्टर नहीं हैं. सर्वे के मुताबिक महिलाओं और पुरुषों के बीच आंकड़ों की इस खाई की वजह ये है कि पाकिस्तान में लोग अपने घर की महिलाओं को इस क्षेत्र में काम नहीं करने देते हैं.

राशीद टोनी पेशावर में काफी वक्त से अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए काम करते आए हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि खैबर पख्तुनख्वा की सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए कोटे का प्रावधान है लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है.