April 30, 2024

सावधान : धरती की ओर आ रहा है, अनियंत्रित चीनी अंतरिक्ष केंद्र

New Delhi : घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन यह सच है। अनियंत्रित हो चुका चीनी स्पेस लैब तियांगोंग तेजी से धरती की ओर आ रहा है। इस अंतरिक्ष केंद्र पर निगरानी रख रही यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मुताबिक यह धरती के वायुमंडल में 30 मार्च से दो अप्रैल के बीच प्रवेश कर सकता है। वहीं चाइना मैन्ड स्पेस इंजीनियरिंग के वैज्ञानिक इस तारीख को 31 मार्च से चार अप्रैल के बीच बता रहे हैं। हालांकि दोनों ही संस्थाएं अपने अनुमान के आगे-पीछे होने की बात भी कह रही हैं।

वैज्ञानिक इससे किसी भी प्रकार के नुकसान न होने को लेकर आश्वस्त हैं। इसकी पर्याप्त वजहें बताई जा रही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह 43 अक्षांश उत्तर से लेकर 43 अक्षांश दक्षिण के मध्य के व्यापक क्षेत्र में कहीं भी गिर सकता है। इसी भौगोलिक क्षेत्र में भारत भी आता है।

तियांगोंग-1: चीनी स्पेस सुपरपॉवर का प्रतीक अंतरिक्ष में अपनी ताकत दिखाते हुए चीन ने सितंबर 2011 में इसे जब लांच किया तो इसे ‘स्वर्ग में राजमहल’ कहा। यह चीन का पहला अंतरिक्ष केंद्र था। लांचिंग मानवरहित हुई, लेकिन डिजायनिंग इस प्रकार हुई थी कि अन्य यान इससे जुड़ सकें और शोध किया जा सके। 2012 में चीन की पहली महिला अंतरिक्षयात्री लियू यांग इस अंतरिक्ष केंद्र में जाकर प्रयोग किया। 2013 में चीन की दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री वांग यापिंग भी यहां पहुंची।

कितनी बड़ी चिंता

अंतरिक्ष विशेषज्ञों की मानें तो इस अंतरिक्ष केंद्र से इंसान को न के बराबर खतरा है। उनके अनुसार अंतरिक्ष कचरे के धरती पर गिरने के एक लाख करोड़ मामलों में कोई एक इंसान को खतरा पहुंच सकता है। इससे अधिक तो बिजली गिरने के 14 लाख मामलों में किसी एक व्यक्ति के हताहत होने की आशंका होती है। करीब 70 फीसद धरती पर पानी है। शेष बचे हिस्से में से ज्यादातर निर्जन हैं या बहुत विरल आबादी है। 1997 में डेल्टा रॉकेट का हिस्सा एक महिला के कंधे पर गिरा था, लेकिन वह घायल नहीं हुई थी। किसी इंसान पर अंतरिक्ष कचरा गिरने का यह पहला मामला है।

नुकसान की भरपाई

इस अंतरिक्ष केंद्र से अगर कोई नुकसान होता है तो उसकी भरपाई चीन को करनी होगी। 1972 की इंटरनेशनल लाइबिलिटी फॉर डैमेज काज्ड बाय स्पेस ऑब्जेक्ट संधि के अनुसार इसके लिए लांचिंग देश जिम्मेदार होता है। अभी तक एक ही बार इस संधि का इस्तेमाल किया गया है। 1978 में तत्कालीन सोवियत संघ का परमाणु ऊर्जा संचालित कॉस्मॉस 954 सेटेलाइट गिर गया था। इससे कनाडा के ऊपर परमाणु कचरा बिखर गया। कनाडा ने सोवियत संघ को 60 लाख कनाडाई डॉलर का बिल थमा दिया। हालांकि उसे केवल 30 लाख डॉलर ही हासिल हुए।
कहां गिर सकता है

यह अंतरिक्ष केंद्र 27 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर काट रहा है। ऐसे में इसके धरती पर गिरने के स्थान का अनुमान लगाना मुश्किल है। सेटेलाइट केवल इसकी कक्षा के अक्षांश का पता लगा सकता है जो 43 डिग्री उत्तर से 43 डिग्री दक्षिण है। इस क्षेत्र में भारत समेत तमाम देश आते हैं।
मीर अंतरिक्ष केंद्र

2001 में 135 टन के रूसी अंतरिक्ष केंद्र मीर को धरती पर गिराना पड़ा। इसे नियंत्रित तरीके से गिराया गया। धरती के वायुमंडल में प्रवेश करने के दौरान इसके अधिकांश हिस्से जल गए शेष को समुद्र में गिरा दिया गया।

स्काईलैब

74 टन वजनी अमेरिका का पहला अंतरिक्ष केंद्र 1979 में धरती पर अनियंत्रित होकर गिरा। इसके कुछ हिस्से पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के निर्जन इलाकों में गिरे। कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन कचरा गिराने के लिए अमेरिका को 400 डॉलर का हर्जाना चुकाना पड़ा।