November 15, 2024

अब CBSE स्कूल में बेची जा सकेंगी किताबें : हाई कोर्ट

सीबीएसई ने विद्यार्थियों के लिए बदला पास होने का मानदंड

New Delhi/Alive News : दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के उस फैसले को रद कर दिया है जिसमें उसने सीबीएसई द्वारा संचालित स्कूलों में किताबों और स्कूल वर्दी को बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने सीबीएसई द्वारा जारी एक अप्रैल 2017 के फैसले को रद कर दिया है जिसमें स्कूलों में किताबों, स्टेशनरी, वर्दी और स्कूल बैग को नहीं बेचने की सलाह दी गई थी। शिक्षा के व्यवसायीकरण के सवाल से निपटने के लिए कोर्ट ने कहा कि स्कूल परिसर में एनसीईआरटी, गैर एनसीईआरटी की किताबों, स्टेशनरी आइटम और वर्दी का मिलना सुविधाओं में इजाफा ही होगा। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा परिसरों में कुछ ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे स्कूल परिसर में ही सभी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हों।

दरअसल सीबीएसई के स्कूल परिसरों में बैन के खिलाफ कॉपी-किताब बेचने वाले विक्रेताओं की एसोसिएशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। लंबी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर सीबीएसई का यह फैसला कि बिक्री के लिए स्कूलों की दुकानों से खरीदने के लिए छात्रों और उनके माता-पिता को मजबूर किया जा सकता है ये काफी तर्कहीन प्रतीत होता है।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने दसवीं बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थियों को बड़ी राहत दी है। उसने दसवीं के विद्यार्थियों के पास होने का मानदंड बदल दिया है। अब आंतरिक व बोर्ड परीक्षा के मूल्यांकन को मिलाकर 33 फीसद अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी भी पास हो जाएंगे। पहले विद्यार्थियों को पास होने के लिए आंतरिक व बोर्ड परीक्षा के मूल्यांकन में अलग-अलग 33 फीसद अंक प्राप्त करने होते थे। शैक्षणिक सत्र 2017- 18 की दसवीं की बोर्ड परीक्षा में विभिन्न मूल्यांकन पृष्ठभूमि से आए परीक्षार्थियों की परिस्थतियों को देखते हुए सीबीएसई की परीक्षा समिति ने 16 फरवरी को हुई बैठक में यह फैसला लिया है।

हालांकि पास होने का यह मानदंड सिर्फ इसी सत्र की बोर्ड परीक्षा के लिए लागू रहेगा। सीबीएसई अध्यक्ष अनिता करवल द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार वर्ष 2018 में परीक्षा दे रहे दसवीं के विद्यार्थियों के लिए यह बदलाव किया गया है। इसके तहत 20 अंक वाली आंतरिक परीक्षा व 80 अंक वाली विषय परीक्षा के अंकों को मिलाकर 33 फीसद अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी पास माने जाएंगे। यह नियम पांचों मुख्य विषयों के लिए लागू होगा। अगर किसी विद्यार्थी ने अतिरिक्त विषय के तौर पर छठा या सातवां विषय भी लिया है, तो उन विषयों के पास होने का मानदंड भी अन्य पांचों विषयों की तरह ही रहेगा।