November 18, 2024

देश भर में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन का मनाया जा रहा है जश्न

New Delhi/ Alive News : आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है. भाजपा के साथ-साथ देश भर में फैले उनके चहेतों ने जन्मदिन का जश्न मनाना शुरू कर दिया है. अटल बिहारी वाजपेयी आज 93 साल के हो गए है. एक चैनल के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार इस मौके पर नई दिल्ली नगर परिषद ने अपनी तरफ से दिल्ली के कृष्णा मेनन मार्ग पर स्थित उनके आवास पर सजावट भी की है. वाराणसी में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अटल बिहारी के जन्मदिन के खास मौके पर हवन किया और साथ ही केक काटकर जश्न भी मनाया.

पीएम मोदी ने भी इस मौके पर ट्वीट कर देश के पूर्व प्रधानमंत्री को जन्मदिन की बधाई दी है और साथ ही साथ उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना भी की है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अटल बिहारी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने उनके घर पहुंच चुके हैं. इसके साथ ही देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी अटल बिहारी के आवास पर पहुंचे. बीजेपी के कई दिग्गज आज अटल बिहारी के घर पहुंचे और उन्हें जन्मिदन की बधाई दी.

यही नहीं कानपुर में सुबह-सुबह बीजेपी कार्यकर्ताओं और उनके प्रशंसकों ने मंदिर में उनकी तस्वीर रख उनकी लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य की कामना के साथ हवन-पूजन भी किया. गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के अवसर पर बीजेपी पूरे देश में आयोजन करती रही है.

यूपी से था गहरा लगाव
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था. उनके पिता कृष्ण बिहारी बाजपेयी शिक्षक थे. उनकी माता कृष्णा जी थीं. वैसे मूलत: उनका संबंध उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के बटेश्वर गांव से है लेकिन, पिता जी मध्यप्रदेश में शिक्षक थे. इसलिए उनका जन्म वहीं हुआ. लेकिन, उत्तर प्रदेश से उनका राजनीतिक लगाव सबसे अधिक रहा. प्रदेश की राजधानी लखनऊ से वे सांसद रहे थे.

कवि बनना चाहते थे अटल
कविताओं को लेकर उन्होंने कहा था कि मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं. वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय संकल्प है. वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है. उनकी कविताओं का संकलन ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ खूब चर्चित रहा जिसमें..हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा..खास चर्चा में रही.

वे एक कवि के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते थे. लेकिन, शुरुआत पत्रकारिता से हुई. पत्रकारिता ही उनके राजनैतिक जीवन की आधारशिला बनी. उन्होंने संघ के मुखपत्र पांचजन्य, राष्ट्रधर्म और वीर अर्जुन जैसे अखबारों का संपादन किया. 1957 में देश की संसद में जनसंघ के सिर्फ चार सदस्य थे जिसमें एक अटल बिहारी वाजपेयी थी थे. संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए हिंदी में भाषण देने वाले अटलजी पहले भारतीय राजनीतिज्ञ थे. हिन्दी को सम्मानित करने का काम विदेश की धरती पर अटलजी ने किया.