May 19, 2024

मालदीव का सबसे अच्छा दोस्त चीन, भारत को बताया दुश्मन

New Delhi/Alive News : भारत और मालदीव के रिश्ते लागातार तल्ख होते जा रहे हैं. मालदीव एक के बाद एक भारत विरोधी कार्य कर रहे है. इस कड़ी में अब मालदीव के अखबार में भारत विरोधी तीखी टिप्पणी ने राजनीतिक भूचाल खड़ा कर दिया है. एक चैनल के अनुसार अखबार के संपादकीय में भारत को मालदीव का सबसे बड़ा दुश्मन बताया गया है. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी टिप्पणी करते हुए अखबार ने प्रधानमंत्री को मुस्लिम विरोधी बताया है. मालदीव की स्थानीय भाषा धिवेही में लिखे संपादकीय में चीन को मालदीव का नया और सबसे अच्छा दोस्त करार दिया है. अखबार के इस लेख पर मालदीव की राजनीति में तूफान मचा दिया है. साथ ही भारत ने भी इस की कड़ी आलोचना की है. मालदीव के विपक्ष ने कहा है कि यह भारत के खिलाफ यह टिप्पणी राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन के मुखपत्र में छपी है और प्रकाशिकत होने से पहले इसे राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा मंजूरी दी गई है.

मालदीव की विपक्षी पार्टी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) का मानना है कि राष्ट्रपति यामीन के इस कदम के बाद भारत को अलर्ट हो जाना चाहिए. एमडीपी नेता और मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री अहमद नसीम ने एक अखबार को बताया कि इस तरह के संपादकीय चीन को खुश करने के मकसद से लिखे जा रहे हैं जो दोनों ही देशों के हित में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि भारत के साथ अच्छे संबंधों में ही दोनों देशों का हित है. अखबार के संपादकीय में यह भी कहा गया है कि भारत और श्रीलंका मालदीव में यमन सरकार के खिलाफ तख्ता पलट की साजिश रच रहे हैं. अखबार ने भारत पर कश्मीर और श्री लंका में अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया गया है.

वास्तव में चीन मालदीव को अपने पक्ष मे करके हिंद महासागर में स्थित द्वीप समूहों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश में लगा हुआ है. मालदीव सरकार इस तरह की हरकतें करके चीन को भारत के खिलाफ तैयार कर रहा है. विपक्षी नेता तथा पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और मौमून अब्दुल गयूम संपादकीय प्रकाशित होने के बाद सरकार का कड़ा विरोध करते हुए भारत के पक्ष में खड़े हो गए हैं. उन्होंने कहा कि वे इस लेख की कड़ी निंदा करते हैं, जो भारत को मालदीव का सबसे बड़े दुश्मन के रूप में प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा मालदीव का सबसे अच्छा दोस्त रहा है.

बता दें कि विदेशों से रिश्ते सुधारने के प्रयास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार विभिन्न देशों की यात्रा करते रहते हैं, लेकिन अभी तक उन्होंने मालदीव की यात्रा नहीं की है. अखबार की इस टिप्पणी पर भारत ने केवल प्रधानमंत्री की अपनी नीति को याद दिलाया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत ये आशा रखता है कि मालदीव को केवल अपनी चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए. इसके बाद मालदीव ने चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए और वह भी विपक्ष की सहमति के बिना. इतना ही नहीं माले सरकार ने भारतीय राजदूत अखिलेश शर्मा से मुलाकात करने पर तीन पार्षदों को निलंबित कर दिया था.